Friday, May 7, 2021

जूते के अंदर कंकड़

रास्ता चाहे कितने ही कंकड़ और पत्थरों से भरा हुआ हो - एक अच्छा जूता पहनकर उस पर चला जा सकता है। 
लेकिन यदि जूते के अंदर एक छोटा सा भी कंकड़ हो तो सड़क चाहे कितनी भी अच्छी क्यों न हो - 
दो चार कदम भी चलना मुश्किल हो जाता है।

इसी तरह - हम बाहर की चुनोतियों सें नहीं बल्कि अपनी अंदर की कमजोरियों सें हारते हैं।

यह सिद्धांत केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं बल्कि समाज पर भी लागू होता है।
किसी समाज या देश को बाहर की शक्तियों से उतना ख़तरा अथवा नुक़सान नहीं होता जितना उसके अपने लोगों से। 
रावण की हार का सबसे बड़ा कारण उसका अपना भाई ही था जिसने उसका साथ नहीं दिया।

कारण चाहे कोई भी हो, जब लोग अपने परिवार - अपने समाज अथवा देश का साथ नहीं देते - तो किसी भी बाहरी शक्ति के लिए उस समाज अथवा देश को गिराने और समाप्त करने में कोई देर नहीं लगती।
संकट की घड़ी में अपने आपसी मनमुटाव मिटा कर - एक दूसरे को सहयोग देते हुए - एकजुट हो कर शत्रु का मुकाबला करने से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है फिर चाहे वो संकट किसी पड़ोसी से हो - किसी अन्य देश से या प्राकृतिक विपदा से हो।

आज जहां सारा संसार एक भयानक प्राकृतिक विपदा से जूझ रहा है वहीं कुछ लोग अपना सकारात्मक योगदान देने की बजाए अपनी स्वार्थपूर्ति अथवा केवल मनोरंजन के लिए हर समय दूसरों को दोष देने - उनकी ग़लतियाँ निकालने और सत्य को तोड़ मरोड़ करअफवाहें फैलाने में लगे हुए हैं।

ये समय मिलजुल कर इस विपदा से जूझने और इस संकट से उभरने का है।
यदि हम कोई सकारात्मक योगदान और सहयोग नहीं दे सकते तो कम से कम नकारत्मकता का प्रचार करने में उन लोगो का हाथ न बंटाएं - क्योंकि ऐसा करने से भले लोगों का मनोबल गिरता है और शुभ कर्म करने वालों के रास्ते में रुकावट आती है।
जूते के अंदर का रोड़ा बन कर कोई भी व्यक्ति या समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता।
                                                        ' राजन सचदेव '

3 comments:

Khamosh rehnay ka hunar - Art of being Silent

Na jaanay dil mein kyon sabar-o-shukar ab tak nahin aaya Mujhay khamosh rehnay ka hunar ab tak nahin aaya Sunay bhee hain, sunaaye bhee hain...