Thursday, February 8, 2018

है कोई भूला मन समझावै Hai Koi Bhoolaa Man Samjhaavai

है कोई भूला मन समझावै। 
एह मन चंचल चोर पाहरू छूटा हाथ ना आवै 

जोड़ जोड़ धन ओड़े घोड़े वहां कोई लैन न पावै 

कंठ कपाल आन यम घेरे - दे दे सैन बतावै 

खोटा दाम गाँठ लिए दौड़त बड़ी बड़ी वस्तु मिलावै 
बोए बबूल दाख फल चाहत सो फल कैसे पावै

हरि की कृपा साधु की संगत एह दोय मत बिसरावै। 

कहत कबीर सुनो भई साधो बहुरि न भवजल आवै 
                             
Hai koi bhoolaa man samjhaavai
Eh man chanchal chor paahru, Chhootaa haath na aavai

Jod jod dhan oday ghoday vahaan koi lain na paavai
Kanth kapaal aan yam ghere - day day sain bataavai 

Khotaa daam gaanth liye daudat, badi badi vastu milaavai
Boye babool daakh phal chahat, so phal kaise paavai

Hari ki kripa saadhu ki sangat - eh doye mat bisraavai
Kehat 'Kabeer' suno bhai saadho bahuri na bhav-jal aavai 

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