Wednesday, February 7, 2018

हमें वही मिलता है जो हमने पकाया है। (with Roman Script)

भाग्य या भविष्य कोई रेस्टोरेंट नहीं है कि हम जो भी ऑर्डर करेंगे वो मिल जाएगा। 
यह तो अपने घर - अपनी रसोई की तरह है - 
हमें वही मिलेगा जो हमने पकाया है। 
अगर अच्छा खाना चाहते हैं तो अच्छा पकाने की आदत डालें। 
                         "मँगे दाख बिजौरियाँ - किक्कर बीजे जट्ट 
                           हंडे  ऊन  कताएँदा - पांदा लोड़े पट्ट" 
ये कैसे हो सकता है कि एक किसान किक्कर का बीज बो कर उस से अँगूर का फल माँगे।
या कोई  पुराने ऊन - पुराने स्वैटर या कँबल कात कर उसमें से रेशम की चादर प्राप्त करने की इच्छा करे। 
जैसा बीज बोएँगे वैसा ही फल पाएँगे। 
जो देंगे - वही वापिस मिलेगा। 
जैसे कर्म करेंगे वैसा ही भाग्य - यानी भविष्य बनेगा। 
                                                       ' राजन सचदेव '
                     Hamen vahee miltaa hai jo hum nay pakaaya hai.

Bhaagy ya bhavishya koyi restaurant nahin hai ki ham jo bhee order karenge vo mil jayega. 
yeh to apnay ghar - apanee rasoyi kee tarah hai - 
hamen vahee milega jo ham nay pakaaya hai. 
agar achhaa khaana chaahtay hain to achhaa pakaane kee aadat daalen. 
                      "Mange daakh bijauriyaan - kikkar beejaye jatt 
                        Handay  oon  kataenda - paanda lode patt"
ye kaise ho sakta hai ki ek kisaan kikkar ka beej bo kar us se angoor ka phal maangay.
ya koyi  puraanay oon - puraane sweater ya kambal kaat kar us may say resham kee chaadar 
praapt karnay kee ichchha karay. 
Jaisa beej boenge vaisa hee phal payenge. 
Jo denge - vahee vaapis milega. 
Jaisay karm karenge vaisa hee bhaagya - yaanee bhavishya banega. 
                    'Rajan Sachdev'

1 comment:

  1. Kehtein hai aatmaa badalti nahi badalta Shareer hai ..Par aap ki har blog mein likhee baat Atmaaa ko badalti hai . Beautiful Rajan Ji I feel privilege I have saints in my journey to beatify with such vichar . Thanks so much .

    ReplyDelete

हज़ारों ख़ामियां मुझ में हैं - मुझको माफ़ कीजिए

हज़ारों ख़ामियां मुझ में  हैं   मुझको माफ़ कीजिए मगर हुज़ूर - अपने चश्मे को भी साफ़ कीजिए  मिलेगा क्या बहस-मुबाहिसों में रंज के सिवा बिला वजहा न ...