Tuesday, February 13, 2018

बेईमान कौन ?

एक गाँव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था। 
हमेशा की तरह, एक दिन बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया और वो उसे बेचने के लिए शहर चला गया।   
वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल मे बना हुआ था और हर पेढ़े का वज़न एक किलोग्राम था। 
शहर जा कर  किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को बेच दिया,और दुकानदार से चायपत्ती,चीनी,तेल और साबुन वगैरह खरीदकर वापस अपने गाँव को रवाना हो गया। 
किसान के जाने के बाद - दुकानदार ने जब मक्खन को  फ्रीज़र में रखना शुरू किया तो अचानक उसे खयाल आया के क्यूँ ना एक पेढ़े का वज़न किया जाए।  वज़न करने पर पेढ़ा सिर्फ 900 ग्राम का निकला।  हैरत और निराशा से उसने सारे पेढ़े तोल डाले मगर किसान के लाए हुए सभी पेढ़े 900-900 ग्राम के ही निकले।
अगले हफ्ते किसान हमेशा की तरह मक्खन लेकर जैसे ही दुकानदार की दहलीज़ पर चढ़ा तो दुकानदार ने किसान से चिल्लाते हुए कहा: दफा हो जा, किसी बे-ईमान और धोखेबाज़ शख्स से कारोबार करना मुझे पसंद नहीं। तुम हमेशा  900 ग्राम मक्खन को एक किलो कहकर मुझे दे जाते हो।  ये धोखे का व्यापर तुम किसी और के साथ करना - मुझसे नहीं । 
किसान ने बड़ी ही विनम्रता से दुकानदार से कहा "मेरे भाई - नाराज ना हो। मेरे पास माल तोलने के लिए एक किलो के बट्टे नहीं हैं। हम गरीब लोग हैं। नए बट्टे खरीदने की हैसियत नहीं है। इसलिए आपसे जो एक किलो चीनी लेकर जाता हूँ उसी को तराज़ू के एक पलड़े मे रखकर दूसरे पलड़े मे उतने ही वज़न का मक्खन तोलकर आपके लिए ले आता हूँ।
सेठ समझ गया कि बेईमान वो ग़रीब किसान नहीं - बल्कि  स्वयं है। अपनी ग़लती और बेईमानी का एहसास होने पर वह बहुत शर्मिंदा हुआ और समझ गया कि....... 
             जो हम दुसरो को देंगे वहीं लौट कर हमारे आयेगा ......  
             चाहे वो इज्जत हो , सम्मान हो, प्यार हो  या फिर धोखा...!!


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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega