भूतपूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिखी एक अनुपम कविता " यक्ष प्रश्न "
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जो कल थे वे आज नहीं हैं -
जो कल थे वे आज नहीं हैं -
जो आज हैं वे कल नहीं होंगे
होने - न होने का क्रम इसी तरह चलता रहेगा
हम हैं - हम रहेंगे - यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा
सत्य क्या है?
होना या न होना?
या दोनों ही सत्य हैं?
होने - न होने का क्रम इसी तरह चलता रहेगा
हम हैं - हम रहेंगे - यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा
सत्य क्या है?
होना या न होना?
या दोनों ही सत्य हैं?
जो है, उसका होना सत्य है
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है
मुझे लगता है कि होना-न-होना
यदि कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहें
तो इसमें बुराई क्या है?
हाँ, खोज का सिलसिला न रुके
धर्म की अनुभूति,
विज्ञान का अनुसंधान
एक दिन अवश्य ही रुद्ध द्वार खोलेगा
प्रश्न पूछने के बजाय
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है
मुझे लगता है कि होना-न-होना
एक ही सत्य के दो आयाम हैं
शेष सब समझ का फेर - बुद्धि के व्यायाम हैं
किन्तु न होने के बाद क्या होता है -
यह प्रश्न अनुत्तरित है।
प्रत्येक नया नचिकेता
इस प्रश्न की खोज में लगा है
सभी साधकों को इस प्रश्न ने ठगा है
शेष सब समझ का फेर - बुद्धि के व्यायाम हैं
किन्तु न होने के बाद क्या होता है -
यह प्रश्न अनुत्तरित है।
प्रत्येक नया नचिकेता
इस प्रश्न की खोज में लगा है
सभी साधकों को इस प्रश्न ने ठगा है
शायद यह प्रश्न - प्रश्न ही रहेगा
यदि कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहें
तो इसमें बुराई क्या है?
हाँ, खोज का सिलसिला न रुके
धर्म की अनुभूति,
विज्ञान का अनुसंधान
एक दिन अवश्य ही रुद्ध द्वार खोलेगा
प्रश्न पूछने के बजाय
यक्ष स्वयं उत्तर बोलेगा।
" श्री अटल बिहारी वाजपेयी "
अनुत्तरित = जिसका उत्तर नहीं मिला
रुद्ध = बंद, रुका हुआ
Unaltered fact🙏🌹
ReplyDelete👌👍👍👍🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteVery nice poem. 🙏jk
ReplyDeleteRajan Ji, you are so special yourself... No doubt you select very thoughtful material and share with us to make our day. Thank you
ReplyDeleteThank you Vishnu ji - it's very encouraging to know that there are some people out there who like - enjoy and appreciate what I write or share. Thank you
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