Wednesday, November 27, 2024

यक्ष प्रश्न -- जो कल थे वो आज नहीं हैं

 " जो कल थे वे आज नहीं हैं " 
भूतपूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिखी एक अनुपम कविता  " यक्ष प्रश्न " 
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जो कल थे वे आज नहीं हैं - 
जो आज हैं वे कल नहीं होंगे
होने - न होने का क्रम इसी तरह चलता रहेगा
हम हैं - हम रहेंगे - यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा 

सत्य क्या है?
होना या न होना?
या दोनों ही सत्य हैं?
जो है, उसका होना सत्य है 
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है 
मुझे लगता है कि होना-न-होना 
एक ही सत्य के दो आयाम हैं 
शेष सब समझ का फेर - बुद्धि के व्यायाम हैं 
किन्तु न होने के बाद क्या होता है - 
यह प्रश्न अनुत्तरित है।

प्रत्येक नया नचिकेता 
इस प्रश्न की खोज में लगा है 
सभी साधकों को इस प्रश्न ने ठगा है 
शायद यह प्रश्न - प्रश्न ही रहेगा 

यदि कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहें
तो इसमें बुराई क्या है?
हाँ, खोज का सिलसिला न रुके 
धर्म की अनुभूति,
विज्ञान का अनुसंधान 
एक दिन अवश्य ही रुद्ध द्वार खोलेगा 
प्रश्न पूछने के बजाय 
यक्ष स्वयं उत्तर बोलेगा।

  " श्री अटल बिहारी वाजपेयी "

अनुत्तरित       =  जिसका उत्तर नहीं मिला 
रुद्ध               =  बंद, रुका हुआ  

6 comments:

  1. 👌👍👍👍🙏🙏

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  2. Very nice poem. 🙏jk

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  3. Rajan Ji, you are so special yourself... No doubt you select very thoughtful material and share with us to make our day. Thank you

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    1. Thank you Vishnu ji - it's very encouraging to know that there are some people out there who like - enjoy and appreciate what I write or share. Thank you

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