रावण का ज्ञानी और महा-पंडित होना महत्वपूर्ण नहीं है।
महत्व इस बात का नहीं है कि रावण विद्वान और ज्ञानी था।
महत्वपूर्ण बात ये है कि एक महा विद्वान और ज्ञानी भी रावण हो सकता है।
ज्ञान के साथ साथ भावना और कर्म का पवित्र होना भी आवश्यक है।
मेरे शब्द और मेरे विचार ही मेरी पहचान बनें तो अच्छा है। चेहरे का क्या है - वो तो समय के साथ बदलता ही रहता है और एक दिन शरीर के साथ ही मिट ...
रावण को दुनिया में कुछ ना कमी थी,
ReplyDeleteसब कुछ तो था पर गुरुमत नहीं थी..... 🙏🏻🩷🌿
Absolutely true ji.Uttam Bachan.🙏
ReplyDeleteBeautiful presentation of meaningful message in crispy way
ReplyDeleteAshok Chaudhary
Very true 100%
ReplyDeleteVery true 100%
ReplyDeleteKya baat hai!!
ReplyDeleteविचारणीय श्रद्धेय अंकल जी
ReplyDeleteWonderful warning as it is very easy to become egotist after attaining knowledge 🙏🙏
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