Friday, November 29, 2024

ये दुनिया - Ye Duniya - This world

कहने को तो ये दुनिया अपनों का मेला है
पर ध्यान से देखोगे तो हर कोई अकेला है
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Kehnay ko to ye duniya apnon ka mela hai 
Par dhyaan say dekhogay to har koi akela hai 
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This world seems to have plenty of festivities with loved ones, 
But if you look carefully, you will see that everyone is alone.

Thursday, November 28, 2024

Happy Thanks Giving

Every day and every moment is an opportunity to embrace gratitude, compassion, and kindness, but today we come together to especially recognize these values.

Let us pause to appreciate the abundance around us and the interconnectedness of all life. 
May our hearts remain open, our minds wise, and our actions guided by humility and service—not just today, but always. 

Wishing you and your loved ones a joyful and meaningful Thanksgiving. 

Wednesday, November 27, 2024

यक्ष प्रश्न -- जो कल थे वो आज नहीं हैं

 " जो कल थे वे आज नहीं हैं " 
भूतपूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिखी एक अनुपम कविता  " यक्ष प्रश्न " 
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जो कल थे वे आज नहीं हैं - 
जो आज हैं वे कल नहीं होंगे
होने - न होने का क्रम इसी तरह चलता रहेगा
हम हैं - हम रहेंगे - यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा 

सत्य क्या है?
होना या न होना?
या दोनों ही सत्य हैं?
जो है, उसका होना सत्य है 
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है 
मुझे लगता है कि होना-न-होना 
एक ही सत्य के दो आयाम हैं 
शेष सब समझ का फेर - बुद्धि के व्यायाम हैं 
किन्तु न होने के बाद क्या होता है - 
यह प्रश्न अनुत्तरित है।

प्रत्येक नया नचिकेता 
इस प्रश्न की खोज में लगा है 
सभी साधकों को इस प्रश्न ने ठगा है 
शायद यह प्रश्न - प्रश्न ही रहेगा 

यदि कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहें
तो इसमें बुराई क्या है?
हाँ, खोज का सिलसिला न रुके 
धर्म की अनुभूति,
विज्ञान का अनुसंधान 
एक दिन अवश्य ही रुद्ध द्वार खोलेगा 
प्रश्न पूछने के बजाय 
यक्ष स्वयं उत्तर बोलेगा।

  " श्री अटल बिहारी वाजपेयी "

अनुत्तरित       =  जिसका उत्तर नहीं मिला 
रुद्ध               =  बंद, रुका हुआ  

Yaksha Prashna - Jo kal thay vo aaj nahin hain

                      A unique poem "Yaksha Prashna" 
Written by Shri Atal Bihari Vajpayee -  former Prime Minister of India 
 Please scroll down for English translation
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Jo kal thay - Vo Aaj nahin hain 
Jo aaj hain - Vo kal nahin hongay
Honay na honay ka kram isee tarah chalta rahega 
Ham hain - Ham rahengay - 
Ye Bhram bhee sadaa palta rahega 

Satya kya hai? 
Hona? ya na Hona? 
ya donon hee Satya hain? 

Jo hai - us ka hona Satya hai 
Jo nahin hai - uska Na hona Satya hai 
Mujhay lagta hai ki Hona-na-hona 
Ek hee Satya kay do Aayaam hain 
Shesh sab Samajh ka pher - 
Buddhi kay Vyaayaam hain 

Kintu na-honay ke baad kya hota hai? 
yeh Prashn Anuttarit hai 

Pratyek nayaa Nachiketa is prashn kee khoj mein laga hai
Sabhi Saadhkon ko is prashn nay thagaa hai 
Shaayad ye Prashn - Prashn hee rahega 

Yadi kuchh prashn Anuttarit rahen 
To is men buraayi kya hai? 

Haan - Khoj ka Silasil na rukay 
Dharm kee Anubhooti 
Vigyaan ka Anusandhaan 
Ek din avashya hee ruddh dvaar kholega 
Prashn poochhnay kee bajaaye 
   Yaksh Svayam hee uttar bolega 
                   (Shree Atal Bihaari Vajpeyee)

                  English Translation

Those who were there yesterday - are not there today 
Those who are here today - will not be here tomorrow
The cycle of Being and Not-Being will continue like this
We are here - we will be here - 
         This illusion will always flourish.

What is truth?
To be - or not to be?
Or both are true?
For what is there - 'Being is true.
For what is not there - 'Not-Being is true.

I think 
'Being and 'Not-being are two dimensions of the same truth.
All the rest is a matter of understanding - 
an exercise of the intellect.

But what happens after 'Not Being?
This question is unanswered.

Every new Nachiketa
Is engaged in the search of this question
This question has deceived all the seekers
Perhaps - this question will remain a question forever. 

If some questions remain unanswered
What is wrong with it?

Yes - the process of search should not stop
One day - The experience of religion - 
The research of science - 
will definitely open the closed door.
And instead of asking the question
Yaksha will utter the answer himself.
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(English Translation by Rajan Sachdeva)

Tuesday, November 26, 2024

न शैख़ न लीडर न मुसाहिब न सहाफ़ी

हम शैख़ न लीडर न मुसाहिब न सहाफ़ी
जो ख़ुद नहीं करते वो हिदायत न करेंगे
              " फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ "
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मैं न तो कोई शेख़ (मुल्ला या मौलवी) हूँ, और न ही कोई लीडर (नेता) 
न ही किसी राजा या शासक का कर्मचारी हूँ - और न ही पत्रकार। 

मैं कभी भी किसी को वो करने की हिदायत नहीं दूंगा 
    जो मैं स्वयं नहीं करता या नहीं कर सकता।
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शेख़     = (अरबी शब्द)  किसी सुल्तान द्वारा किसी अमीर जागीरदार को दिया हुआ उपनाम या ख़िताब। 
जाति की तरह एक पारिवारिक उपनाम जो एक प्रतिष्ठित मुस्लिम खानदान में जन्म से संतान दर संतान चलता है। 
ब्राह्मणों की तरह ही सैय्यद और शेख़ मुसलमानों में ऊंची जाति का सूचक है। 
भारत और पाकिस्तान में ये मुल्ला या मौलवी का किरदार भी निभाते हैं जो अपने गाँव या नगर में मज़हब की तालीम के साथ साथ एक जज की तरह लोगों के निजी फ़ैसले भी करवाते हैं। 

मुसाहिब    =   किसी बादशाह या राजा का  ख़ास खिदमतगार, ख़ुशामदी - परामर्शदाता, या वह अधिकारी जो जरनैल के आदेशों के वितरण और अनुपालन में सहायता करते हैं। 

सहाफ़ी     =   पत्रकार 

Na Shaikh na Leadar na Musaahib (Neither Monarch nor a Leader)

Ham Shaikh na Leader na Musaahib na Sahaafi  
Jo Khud nahin kartay vo Hidaayat na karengay
                       " Faiz Ahmad Faiz "

I am neither a Sheikh* (monarch) nor a leader - 
Neither an employee of a sovereign or ruler - nor a journalist.
I will never instruct others to do what I don't (or can not) do myself. 
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Sheikh         =   (Arabic word) a surname or title given by a Sultan or a sovereign ruler to an employee or an influential landlord.
Like caste, a family surname passed on from birth to progeny in a prestigious Muslim family. 
 Also used for a Muslim clergy.
Like Brahmins, Syed and Sheikh are indicative of high caste among Muslims.
In India and Pakistan, they also play the role of Mullah or Maulvi, who, along with teaching religious doctrine in their village or town, also pass judgment on personal, family, or community cases. 

Musahib = special orderly of an emperor or king, a flatterer - advisor, or an officer who helps in the distribution and execution of the orders of the general.
Sahafi               = Journalist
Hidayat            = Advice, Instruction 

Monday, November 25, 2024

Sab hain Musafir Yahan - Everyone is a Traveler Here

Duniya hai Saraay Faani Sab hain Musafir yahan 
Roz koyi Aa raha hai -- Roz koyi Ja raha
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The world is a temporary inn - everyone is a traveler here
Every day, someone is coming  - and someone is leaving

सब हैं मुसाफ़िर यहां

दुनिया है सराय फ़ानी सब हैं मुसाफ़िर यहां 
रोज़ कोई आ रहा है - रोज़ कोई जा रहा 
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Friday, November 22, 2024

सब कुछ बदल जाता है उम्र के साथ Everything changes with age

सब कुछ बदल जाता है उम्र के साथ 
            पहले कुछ पाने की कोशिश करते थे  - 
                           अब सब्र करने की कोशिश करते हैं 

Everything changes with age
          Earlier - we used to try to achieve something -
                                            Now - we try to let go and be patient  

Thursday, November 21, 2024

कभी वो पास आते हैं - कभी वो दूर

कभी वो पास आते हैं  - कभी वो दूर जाते हैं 
कभी हम को हंसाते हैं कभी हम को रुलाते हैं 
ये दुनिया है यहां 'राजन' सभी मतलब के साथी हैं 
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं वो जो रिश्ता निभाते हैं 
                            " राजन सचदेव "

Kabhi vo paas aatay hain - Sometimes, they come close

Kabhi Vo Paas aatay hain - Kabhi Vo Door jaatay hain  
Kabhi Hum ko hansaatay hain - kabhi hum ko rulaatay hain  
Ye duniya hai yahan 'Rajan' sabhi matlab kay saathi hain 
Badi mushkil say miltay hain Vo jo rishtaa nibhaaty hain 
                         " Rajan Sachdeva "
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Sometimes, they come close and sometimes, they go away.
Sometimes they make us laugh - sometimes they make us cry.
In this world, everyone is after their own interest, says Rajan.
It is hard to find people who maintain a good selfless relationship forever. 

Friday, November 15, 2024

Thursday, November 14, 2024

Who is Lord Krishn कौन और क्या हैं भगवान कृष्ण

Anupam Kher explains 
            Who or what is Lord Krishn 


 कौन और क्या हैं भगवान कृष्ण  -- अनुपम खैर 

With English subtitles  ⬇️





Wednesday, November 13, 2024

रावण का ज्ञानी होना महत्वपूर्ण नहीं

रावण का ज्ञानी और महा-पंडित होना महत्वपूर्ण नहीं है। 

महत्व इस बात का नहीं है कि रावण विद्वान और ज्ञानी था। 
महत्वपूर्ण बात ये है कि एक महा विद्वान और ज्ञानी भी रावण हो सकता है। 

ज्ञान के साथ साथ भावना और कर्म का पवित्र होना भी आवश्यक है। 

Ravan being a Gyani is not important

Ravan being a Gyani is not important. 

It is not important that Ravan was a great scholar and a Gyani Pandit.
The important thing is that a Gyani and a great scholar can also become a Ravan.

Along with Gyan and knowledge, sentiments and actions must also be pure. 


Monday, November 11, 2024

दर्पण के सामने - भगवान कृष्ण

एक बार, भगवान कृष्ण आईने के सामने खड़े थे अपने बालों और पोशाक को ठीक कर रहे थे।
वह अपने सिर पर विभिन्न मुकुटों को सजा कर देख रहे थे और कई सुंदर रत्न-जड़ित गहने पहन कर स्वयं को निहार रहे थे। 
उनका सारथी रथ तैयार करके बाहर इंतजार कर रहा था।

बहुत देर इंतजार करने के बाद सारथी सोचने लगा कि अक्सर कहीं जाना होता है  तो भगवान कृष्ण बहुत जल्दी तैयार हो कर बाहर आ जाते हैं।
लेकिन आज इतना समय बीत जाने के बाद भी वे अभी तक अपने कमरे से बाहर नहीं आए। 
हो सकता है कि उन्होंने बाहर जाने का विचार स्थगित कर दिया हो। 
क्योंकि कृष्ण स्वभाव से ही अप्रत्याशित (Unpredictable) थे और उनके कार्य अक्सर अनपेक्षित (Unexpected) होते थे। 
वो किसी भी समय तत्क्षण ही अप्रत्याशित रुप से कोई निर्णय ले लेते थे। और एक क्षण में ही सब कुछ बदल भी सकता था। 
ऐसा सोच कर वह भगवान कृष्ण के कक्ष में चला गया और देखा कि वह दर्पण के सामने खड़े होकर स्वयं को निहार रहे हैं।

उसने विनम्रता से पूछा, "भगवन, आज आप इतने कीमती कपड़े और आभूषण पहन कर - इतने सज धज कर कहाँ जा रहे हैं?
भगवान कृष्ण ने कहा - आज मैं दुर्योधन से मिलने जा रहा हूं।
आश्चर्य चकित सारथी ने पूछा - 
"प्रभु - आश्चर्य  है कि आप दुर्योधन से मिलने के लिए इतने सज धज कर जा रहे हैं? 

भगवान कृष्ण ने कहा: हाँ भद्र  - क्योंकि वह मेरे अंदर नहीं देख सकता।
वह केवल मेरे बाहरी रुप की ही सराहना कर सकता है।
केवल अच्छे कपड़े - हीरे और रत्न जड़ित आभूषण इत्यादि ही उसे प्रभावित कर सकते हैं। 
वो किसी के अंतर्मन और ज्ञान को परखने - और भावनाओं को समझने में असमर्थ है। 
वो तो केवल बाहरी वस्त्र और आभूषण देख कर ही किसी व्यक्ति का मूल्यांकन करने का आदी है। 
इसलिए उसे प्रभावित करने के लिए ये सब आभूषण पहनना आवश्यक है "

सारथी ने फिर कहा - 
लेकिन प्रभु - आप दुर्योधन के पास क्यों जा रहे हो? 
आपको उसके पास नहीं - बल्कि उसे आपके पास आना चाहिए। 
आप तो जगत के स्वामी हैं। उसकी तुलना आपके साथ नहीं हो सकती। 
मेरे विचार में यह सही नहीं है। आपको उसके पास नहीं जाना चाहिए।"

कृष्ण पीछे मुड़े - सारथी की ओर देख कर मुस्कुराए और बोले -
     "भद्र - अंधेरा कभी प्रकाश के पास नहीं आता। 
          प्रकाश को ही अंधकार के पास जाना पड़ता है।"
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                                    ' राजन सचदेव '

Lord Krishna - in front of a mirror

Once, Lord Krishn was standing in front of the mirror - perfecting his appearance - fixing his hair and dress.
He was trying on different crowns on his head and putting on some expensive, elegant jewelry.
His charioteer waited outside with the chariot ready.

After waiting for long, the charioteer thought - usually, Lord Krishn gets ready very quickly and comes out.
But today, even after so much time has passed, he has still not come out of his room. 
Perhaps he has changed his mind and postponed the idea of ​​going out?
Because Krishn was unpredictable by nature, and his actions were often unexpected.
He would take any decision at any time - but everything could change at the last moment too.

So, he went inside and saw that he was standing in front of the mirror - admiring himself.
He politely asked, My dear Lord, where are you going today dressed in such costly clothes and ornaments?
Lord Krishn said - I am going to meet Duryodhan.
"You are dressing up so elegantly, in such costly clothes - to meet Duryodhan?" 
 The surprised charioteer asked.

Lord Krishn said: Yes, Bhadra (Gentleman) – because he cannot see inside me.
He can only appreciate my outer appearance.
Only good clothes – diamonds and gemstone studded ornaments can impress him.
He can not see the inner beauty of people - their knowledge – and their feelings.
He is used to judging a person only by the outer clothing and ornaments.
Therefore, it is necessary to wear all these ornaments to impress him.
It is how I am dressed that will impress him."

The charioteer said - Pardon me, my Lord - but why are you even going to Duryodhan? 
Instead of you going to him, he should come to you.
You are the Lord of the world. There is no comparison between you and him.
I think this is not the right thing to do. 
You should not go to him - Let him come to you.”

Lord Krishn turned around, looked at him, smiled, and said,
“ Bhadra (gentleman) - Darkness does not come to light.
 Light has to go to darkness.”
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                                          ' Rajan Sachdeva '

Friday, November 8, 2024

वो मुझ में मौजूद है फिर भी मैं उस से दूर हूँ

जानता हूँ कुछ नहीं हूँ - पर फिर भी मग़रुर हूँ
पाल के ख़ुशफ़हमियाँ दिल में अपने मसरुर हूँ 

है यही वजह कि 'राजन' मिल नहीं सकता उसे 
वो मुझ में मौजूद है - फिर भी मैं उस से दूर हूँ 
                                   " राजन सचदेव "

ख़ुशफ़हमियाँ   =  दिल को खुश रखने के लिए पाली हुई ग़लतफ़हमियां - 
       - ऐसी सोच या उम्मीद जिसकी कोई बुनियाद न हो लकिन अपने आप को तसल्ली देने के लिए दिल में बसाए रखें 
       - स्वयं को बहुत अच्छा और बड़ा समझने की ग़लतफ़हमी 
मसरुर         =  ख़ुश, प्रसन्न, उन्मत 

Vo mujh me maujood hai - He is present within me

Jantaa hoon kuchh nahin hoon par phir bhi magroor hoon 
Paal kay Khush-fehmiyaan dil mein apnay masroor hoon 

Hai yahi vajah - ki 'Rajan ' mil nahin saktaa usay 
Vo mujh me maujood hai phir bhi main us say door hoon
                   "Rajan Sachdeva "

                                      Translation 
I know I am nothing - and yet I am proud and egotistic.
I am happy and content by keeping some misconceptions in my heart.

This is the reason that I cannot meet the Lord.
He is present within me - yet I am so far from Him. 

Khush-fehmiyaan = Misconceptions nurtured to keep oneself happy 
             - such thoughts or hopes which have no basis but are kept in the heart to console oneself 
           - Deusion of considering oneself to be excellent.
Masroor = Happy, pleased, Ecstatic, Intoxicated 

Thursday, November 7, 2024

Rob the Robber -- Ja Thag nay Thagni Thagi

Maaya to Thagni bhayi - Thagat phirai sab Des
Ja Thag nay Thagnai Thagi taa Thag ko Aades
                      " Sadguru kabeer ji "
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Maya is a grand delusional - a great robber.
It distracts everyone and robs their peace. 

Salutations to the one who robs this robber - 
the one who can retain the Maya.

Thagni   = Robber
Aades     = Salutations, Regards, Pranaam, Namaskaar

जा ठग ने ठगनी ठगी

माया तो ठगनी भई, ठगत फिरै सब देस। 
जा ठग ने ठगनी ठगी, ता ठग को आदेस।।
              " सद्गुरु कबीर जी महाराज "

आदेस     =    प्रणाम, नमस्कार 

Tuesday, November 5, 2024

भूतकाल, वर्तमान और भविष्य जुड़े हुए हैं

भूतकाल, वर्तमान और भविष्य सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

हमारा वर्तमान हमारे भूतकाल का ही परिणाम है -
और भविष्य हमारे वर्तमान पर निर्भर करेगा।

हम भूतकाल को तो बदल नहीं सकते।
लेकिन भूतकाल से सीख लेकर - अतीत की वही पुरानी गलतियों को न दोहराते हुए - 
अपनी मानसिकता और वर्तमान तथा भविष्य की कार्य-पद्धति को बदलकर एक बेहतर भविष्य बनाने का प्रयास कर सकते हैं।
                                           " राजन सचदेव "

Past, Present, and Future are all Connected

Past, Present, and Future are all connected.
Our present is the result of our past -
and the future will depend on our present. 

We can not change our past.
However, we can try to plan for a better future by learning from the past - 
by not repeating the same past mistakes -
and by changing our mindset and current and future actions. 
                   " Rajan Sachdeva "

Monday, November 4, 2024

निष्ठा धृतिः सत्यम् -- सत्यम् शिवम् सुन्दरम्

             निष्ठा धृतिः सत्यम्

निष्ठा का अर्थ है विश्वास और श्रद्धा 
धृति अर्थात धारण करना और सत्यम अर्थात सत्य 

  निष्ठा धृतिः सत्यम् - अर्थात सत्य पर ही निष्ठा रखो। 

दूसरे शब्दों में - विश्वास, श्रद्धा एवं निष्ठा केवल सत्य पर ही आधारित होनी चाहिए - 
और हमेशा सत्य से ही जुड़ी रहनी चाहिए। 

क्योंकि - सत्यम् शिवम् सुन्दरम् 
अर्थात सत्य ही शिव - कल्याणकारी और सुन्दर है। 
सत्य ही शिव है - शिव ही सत्य है - और शिव अर्थात सत्य ही सुंदर है। 

                               सत्य क्या है?

         "नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः "
                                 (भगवद गीता  2 -16 )
अर्थात जो हमेशा और हर जगह व्यापक नहीं है वो असत्य है। 
और जो परिपूर्ण है, सदा विद्यमान है - जो सदा से था और सदा रहेगा - वही सत्य है। 

वही शिव - अर्थात हर तरफ फैला हुआ सर्वव्यापक एवं परिपूर्ण निराकार पारब्रह्म है।  
इस सर्वव्यापक निराकार ईश्वर को ही शिव कहा जाता है। 
और केवल सत्य ही सुंदर और कल्याणकारी है। 

इसीलिए शास्त्र कहते हैं कि केवल सत्य को ही अपनी निष्ठा एवं श्रद्धा का आधार बनाईए और हमेशा बनाए रखिए। 
                                            " राजन सचदेव "

Nishtha Dhritih Satyam -- Satyam Shivam Sundaram

                        " Nishtha Dhritih Satyam "

Nishtha means Faith, Trust, Loyalty, or Devotion.
Dhriti means to hold - and Satyam is Truth. 

Nishtha Dhritih Satyam -
Meaning: have faith, trust, and loyalty in the Truth only.

In other words - our faith, trust, and allegiance should be based only on Truth - 
and should always remain connected to the Truth.

Because - Satyam Shivam Sundaram - 
Truth is Shiva - Beneficial and Beautiful. 
Truth is Shiva – Shiva is Truth – and Shiva or Truth is beautiful.

                             What is Truth?

Nasato Vidyatay Bhavo Nabhavo Vidyatay Satah
                             (Bhagavad Gita 2-16) 
Meaning: That which does not exist everywhere and forever - which does not always stay the same - is unreal.
And that - which is all-pervading - always exists – always stays the same - 
which has always been and will always be – is Truth.

That Truth is known as Shiva - the omnipresent and all-pervading formless Parbrahm or God. 
This Omnipresent, Formless God is called Shiva.
And only Truth is beautiful and beneficial.

That is why the scriptures say that our loyalty and faith should only be based and maintained upon Truth and nothing else. 
                             " Rajan Sachdeva "

Sunday, November 3, 2024

दीपक चांदी का - या मिटटी का ?

एक धनवान व्यक्ति ने अपने घर में चांदी का दीया जलाया 
और एक निर्धन ने अपने घर में मिट्टी का दिया जला दिया  

लेकिन जब देखा - तो दोनों की लौ एक जैसी ही थी। 

इस से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि दीपक चाँदी  का है या मिट्टी  का 
दीपक जहां भी जलेगा - वहां रौशनी ही बांटेगा - प्रकाश ही फैलाएगा। 



Silver lamp - or clay lamp?

A rich man lit a silver lamp in his house.
A poor man lit a clay lamp in his house.

But - the flame of both the lamps was the same.

It does not matter whether the lamp is made of silver or clay.
Wherever the lamp is lit - it will spread its light. 



Saturday, November 2, 2024

Shubham Karoti Kalyanam - Light of Gyana brings Auspiciousness


Shubham Karoti Kalyanam Arogyam Dhan Sampada
Shtrubuddhi Vinaashaya Deep Jyotir Namostutay 

Light of Gyana brings Auspiciousness, Health, and Prosperity.
It destroys the ill will and feelings of animosity and hostility. 
Salutations to the light of the lamp of Gyana.


शुभं करोति कल्याणम (Video)



शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥ 

ज्ञान का प्रकाश शुभता, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है। 
यह दुर्भावना और शत्रुता की भावनाओं को नष्ट करता है। 
ऐसे ज्ञान रुपी प्रकाश को नमस्कार।  

सत्य बनाम झूठ

विलासिता और झूठ को बनाए रखने में बहुत ज़्यादा खर्च आता है
            लेकिन
सत्य और सादगी को क़ायम रखने में कोई खर्च नहीं आता।

Truth vs Lies

Luxury and Lies have huge maintenance costs
              But
Truth and simplicity are self-maintained without any cost.


What is Moksha?

According to Sanatan Hindu/ Vedantic ideology, Moksha is not a physical location in some other Loka (realm), another plane of existence, or ...