Sunday, May 12, 2019

लब लरजते रहे पर Lab Larajatay Rahay par

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लब लरजते रहे पर न कुछ बात की 
यूँ तमन्ना बहुत थी मुलाकात की 

सोचता हूं जिसे अपनी साँसों में मैं 

एक मूरत हो तुम वो ख़्यालात की 

तुमको पाया तो मुझको मिली ज़िंदगी 

बख़्श दो बंदगी मुझको दिन रात की 

एक पत्थर में दिल है धड़कने लगा

क्या कहूं तुमने कैसी करामात की 

मंज़िलों की डगर में अंधेरे बहुत 

रोशनी मुझको देना ख़्यालात की

 ज़िंदगी क्या है तुमने बताया हमें 

एक हम थे कि बस बात पे बात की

एक मालिक की संतान हैं हम सभी 

बात क्यों फिर हुई धर्म की, जात की 

छोड़कर अब तेरा दर कहां जाऊंगा 

तुमने बदली है तस्वीर हालात की 

तुम हो पूर्ण कि हम सब गुनहगार हैं 

शुक्र है तुमने रहमत की बरसात की
                 (प्रदुमन भल्ला - कैथल हरियाणा)

Lab larajatay rahay par na kuchh baat kee 
Yoon tamanna bahut thee mulaakaat kee 

Sochata hoon jisay apnee saanson mein main 
Ek moorat ho tum vo khyaalaat kee 

Tum ko paaya to mujh ko milee Zindagi
Bakhsh do bandgee mujh ko din raat kee 

Ek patthar mein dil hai dhadaknay lagaa
Kya kahoon tum nay kaisi karaamaat kee 

Manzilon kee dagar mein andheray bahut 
Roshnee mujh ko dena khyaalaat kee

Zindgee kya hai tum nay bataaya hamen 
Ek ham thay ki bas baat pay baat kee

Ek maalik kee santaan hain ham sabhee 
Baat kyon phir huyi dharm kee, jaat kee 

Chhod kar ab tera dar kahaan jaoonga 
Tum nay badlee hai tasveer haalaat kee 

Tum ho poorn ki ham sab gunahgaar hain 
Shukar hai tum nay rehmat kee barsaat kee
                                               By: Parduman Bhalla
                                                  (Kaithal Haryana)

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