ये चमन आबाद था - आबाद है
लापता लाखों सिकंदर हो गए
ये दुनिया पहले भी आबाद थी आज भी है और आगे भी रहेगी
लाखों सिकंदर आए और चले गए - मिट्टी में मिल गए
लाखों और नए सिकंदर आएंगे और मिटटी में मिल जायेंगे
दुनिया के काम न पहले रुके - न आगे रुकेंगे
तू चाहे या न चाहे - तू माने या न माने
चलता रहेगा यूं ही इस दुनिया का सिलसिला
(जगननाथ 'आज़ाद')
हमारे चाहने या न चाहने से कुछ नहीं होगा
हमसे पहले भी दुनिया चलती थी - हमारे बाद भी चलती रहेगी
हम इस बात को मानें या न मानें - इससे क्या फ़र्क़ पड़ेगा ?
लापता लाखों सिकंदर हो गए
ये दुनिया पहले भी आबाद थी आज भी है और आगे भी रहेगी
लाखों सिकंदर आए और चले गए - मिट्टी में मिल गए
लाखों और नए सिकंदर आएंगे और मिटटी में मिल जायेंगे
दुनिया के काम न पहले रुके - न आगे रुकेंगे
तू चाहे या न चाहे - तू माने या न माने
चलता रहेगा यूं ही इस दुनिया का सिलसिला
(जगननाथ 'आज़ाद')
हमारे चाहने या न चाहने से कुछ नहीं होगा
हमसे पहले भी दुनिया चलती थी - हमारे बाद भी चलती रहेगी
हम इस बात को मानें या न मानें - इससे क्या फ़र्क़ पड़ेगा ?
No comments:
Post a Comment