ये बात सिर्फ साधारण इंसानों के ही नहीं बल्कि संतों, महात्माओं और गुरुओं के जीवन में भी दिखाई देती है।
जहां एक तरफ हज़ारों - लाखों लोग उनकी वंदना -उपासना करते हैं
वहीं अनेक लोग उनकी बुराई और निंदा करते भी दिखाई देते हैं।
कोई भी इंसान संसार के हर प्राणी को प्रसन्न नहीं कर सकता।
लाख कोशिश करने पर भी किसी न किसी की नज़रों में तो आप बुरे ही रहेंगे।
इसलिए बेहतर यही है कि सबको खुश रखने की कोशिश करने में समय व्यर्थ गंवाने की बजाए - सत्य को अपना कर सत्य मार्ग पर चलने की कोशिश करें।
अंत में हिसाब तो परमात्मा को ही देना है - लोगों को नहीं।
' राजन सचदेव '
Beautiful words 🙏🌸🌺
ReplyDeleteSo true and clear
ReplyDeleteWell said 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत ही खूब!
ReplyDeleteलेकिन आजकल की दुनिया में अफ़सोस है कि ...
जब मैंने सत्य से पूछा "तू मौन क्यों है?"
सत्य उदास होकर बोला "अब मुझे सुनता कौन है?"
- अनजाना लेखक
बिलकुल सही कहा आपने 🙏
Deleteबचपन में सीखा था कि धर्म ही सत्य है,
ReplyDeleteपर जवानी में सोच बैठा कि अर्थ काम सत्य है,
अंत समय जब आया तो लोग कहने लगे कि
... राम नाम सत्य है!
- अनजाना लेखक
यही विडंबना है जीवन की - लेकिन देर में समझ आती है
Delete"सत्य को अपना कर सत्य मार्ग पर चलें" बहुत सुंदर advice! Thank you ji. Keep blessings ji!
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