पराधीन सपनेहु सुख नहीं
(तुलसी दास - राम चरित मानस)
संत तुलसी दास कहते हैं कि जो लोग पराधीन हैं - दूसरों के आधीन हैं -
शासित हैं और उन पर निर्भर हैं -
वह सपने में भी कभी सुखी नहीं हो सकते।
चाहे हम दूसरों के गुलाम हों - या अपनी ही धारणाओं और आदतों के गुलाम हों - हम आगे नहीं बढ़ सकते।
बंधन से मुक्त हुए बिना आगे बढ़ना संभव नहीं है।
पूर्वकल्पित विचार एवं धारणाएं हमें प्रतिबंधित और कैद रखते हैं - हमें बढ़ने नहीं देते।
अर्जित विश्वासों और हठधर्मिता से मुक्त हो कर ही हम नए विचारों और नई जीवन शैली को अपना सकते हैं - अन्यथा नहीं।
इसलिए संकीर्णता से ऊपर उठ कर अपने मन और बुद्धि को विशाल करें -
तार्किक एवं तर्कसंगत रुप से सोचें और यथार्थ एवं सत्य को अपनाने का प्रयत्न करें।
' राजन सचदेव '
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