Friday, April 6, 2018

क्या पता किस जगह पे रुक जाए Kya pataa kis jagah pe ruk jaaye

क्या पता किस जगह पे रुक जाए 
साँस  का एतबार मत करना 

देख -तौबा का दर खुला है अभी 
तू कल का इंतज़ार मत करना 
                  ~ एजाज़ ~ 

Kya pataa kis jagah pe ruk jaaye
Saans ka aetbaar mat karnaa

Dekh, Tauba ka dar khulaa hai abhi
Tu kal ka intezaar mat karnaa
                              ~Aejaz~

No comments:

Post a Comment

हज़ारों ख़ामियां मुझ में हैं - मुझको माफ़ कीजिए

हज़ारों ख़ामियां मुझ में  हैं   मुझको माफ़ कीजिए मगर हुज़ूर - अपने चश्मे को भी साफ़ कीजिए  मिलेगा क्या बहस-मुबाहिसों में रंज के सिवा बिला वजहा न ...