Tuesday, April 3, 2018

जब किसी से कोई गिला रखना Jab Kisi Say Koi Gilaa Rakhnaa

जब किसी से कोई गिला रखना 
सामने अपने  आईना  रखना 

मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिए 
अपने घर में कहीं ख़ुदा रखना 

घर की तामीर चाहे जैसी हो 
इस में रोने की जगह रखना 

मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो 
मिलने जुलने का हौसला रखना 
                    ~ निदा फाज़ली ~ 


Jab kisi say koi gilaa rakhnaa 
Saamnay apnay aainaa rakhnaa 

Masjiden hain namaaziyon ke liye 
Apnay ghar men kahin Khudaa rakhnaa 

Ghar ki taameer chaahay jaisi ho 
is men ronay ki jagah rakhnaa 

Milnaa julnaa jahaan zaroori ho 
Milnay-julnay ka hauslaa rakhnaa 
                                 ~ Nida Fazli ~


Gilaa                       Complaints, Resentment, Bitterness 
Aainaa                     Mirror
Namaaziyon          For Ritualistic Prayers
Taameer                 Construction

2 comments:

हज़ारों ख़ामियां मुझ में हैं - मुझको माफ़ कीजिए

हज़ारों ख़ामियां मुझ में  हैं   मुझको माफ़ कीजिए मगर हुज़ूर - अपने चश्मे को भी साफ़ कीजिए  मिलेगा क्या बहस-मुबाहिसों में रंज के सिवा बिला वजहा न ...