कोई ख़्याल जब उठता है कभी ज़हन में मेरे
चंद लफ़्ज़ों के दायरे में उसे बाँध लेता हूँ
मेरी शायरी तो इज़हार है मेरे तजुरबों का
कुछ एहसास अपनी ज़िंदगी से छाँट लेता हूँ
शायद इन को पढ़ के सम्भल जाए कोई 'राजन ' कहीं
इसी लिए ख़्याल अपने - सब में बाँट लेता हूँ
'राजन सचदेव '
उपरोक्त शेर -साहिर लुधयानवी साहिब के इस शेर से मुत्तासिर (प्रभावित) हो कर लिखे गए थे :
चंद लफ़्ज़ों के दायरे में उसे बाँध लेता हूँ
मेरी शायरी तो इज़हार है मेरे तजुरबों का
कुछ एहसास अपनी ज़िंदगी से छाँट लेता हूँ
शायद इन को पढ़ के सम्भल जाए कोई 'राजन ' कहीं
इसी लिए ख़्याल अपने - सब में बाँट लेता हूँ
'राजन सचदेव '
उपरोक्त शेर -साहिर लुधयानवी साहिब के इस शेर से मुत्तासिर (प्रभावित) हो कर लिखे गए थे :
"दुनिया ने तजुर्बात ओ हवादिस की शक़्ल में
जो कुछ मुझे दिया -वो ही लौटा रहा हूँ मैं "
Wah ji kya khyal hai
ReplyDeleteBeautiful .... Thanks for sharing Rajan ji ....
ReplyDeleteExcellent ji....really ur thoughts is working for more person's purifying......Dhan nirankar ji
ReplyDeleteबहुत ख़ूब !👏🏼👏🏼👏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
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