न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा - हमीं से निकलेगा
अनुवाद:
न तो कोई साथी, न ही कोई प्रिय या शुभचिंतक हमारे पाँव का काँटा निकाल सकता है।
हमारे पाँव का काँटा* - हमें स्वयं ही निकालना होगा।
इस शेर में पाँव शब्द का उपयोग एक रुपक अथवा अलंकार के रुप में किया गया है।
यहाँ शायर ये कहना चाहता है कि कोई दूसरा इंसान - चाहे वो हमारा कितना भी हितैषी क्यों न हो - कोई जादू की छड़ी हिला कर हमारे मन से कांटों अर्थात बुराइयों को दूर नहीं कर सकता।
वो हमें स्वयं ही दूर करनी होंगी और उन्हें अच्छे, नेक और शुभ विचारों से बदलना होगा।
गुरुजन, संतजन, नेक और सज्जन लोग एवं धर्म ग्रन्थ और शास्त्र हमें प्रेरणा दे सकते हैं - हमें रास्ता दिखा सकते हैं -
लेकिन चलना तो हमें स्वयं ही पड़ेगा।
हमारी जगह कोई और हमारे वांछित रास्ते पर नहीं चल सकता।
" राजन सचदेव "
हकीकत का खूबसूरत बयान
ReplyDeleteIt's all my responsibility
ReplyDeleteAshok Chaudhary
🙏🙏
ReplyDeleteYes. It's true. At end of day, it's me only who can make a difference. So. Let's be ready to push ourselves. "Charity begins at home." is apt to quote here.
ReplyDeleteNo one can bell the cat!
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