शमशान घाट में एक समाधी पर अपना बस्ता फैंक कर एक बच्चा समाधी के पास बैठ कर शिकायत करने लगा।
उठो ना पापा, टीचर ने कहा है कि कल फ़ीस लेकर आना और अपने पापा को लेकर आना !! वरना स्कूल मत आना।
ये सुनकर बराबर की समाधी पर एक आदमी फ़ोन पर किसी फूलवाले से दो हज़ार रुपयों की फूलों की चादर लेने के लिए बात करते करते कुछ सोचकर फ़ोन पर बोला कि ऑर्डर कैंसल कर दो।
फूल वाले ने पूछा - क्यों साहिब ? कुछ discount चाहिए क्या?
अब नहीं चाहिए भाई। फूल इधर ही मिल गए हैं
फिर उसने वो दो हज़ार रुपए बच्चे के हाथ में रख कर कहा ...
बेटा ! ये पैसे तुम्हारे पापा ने भेजे हैं।
कल स्कूल जाना और अपनी फीस जमा करवा देना।
इसे कहते हैं इंसानियत
उठो ना पापा, टीचर ने कहा है कि कल फ़ीस लेकर आना और अपने पापा को लेकर आना !! वरना स्कूल मत आना।
ये सुनकर बराबर की समाधी पर एक आदमी फ़ोन पर किसी फूलवाले से दो हज़ार रुपयों की फूलों की चादर लेने के लिए बात करते करते कुछ सोचकर फ़ोन पर बोला कि ऑर्डर कैंसल कर दो।
फूल वाले ने पूछा - क्यों साहिब ? कुछ discount चाहिए क्या?
अब नहीं चाहिए भाई। फूल इधर ही मिल गए हैं
फिर उसने वो दो हज़ार रुपए बच्चे के हाथ में रख कर कहा ...
बेटा ! ये पैसे तुम्हारे पापा ने भेजे हैं।
कल स्कूल जाना और अपनी फीस जमा करवा देना।
इसे कहते हैं इंसानियत
Dhan Nirankar.
ReplyDeleteGod appears in form of human beings for the needy ones. 🙏🙏🙏🙏🙏