इंटरनेट के इस युग में, हर कोई फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम या अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर हर रोज़ दर्जनों संदेश भेज रहा है।
कुछ लोगों को तो जैसे ही एक मैसेज मिलता है, वे इसे दूसरों तक पहुंचाने के लिए दौड़ पड़ते हैं। बहुत से लोग तो उसे बिना समझे या बिना पढ़े ही बीस पच्चीस लोगों को आगे भेज देते हैं।
ज़रा सोचिए कि ज्ञान की बातों को - विद्वता भरे शब्दों को केवल आगे फॉरवर्ड कर देने से - इसे समझे बिना केवल दूसरों के साथ सांझा कर देने मात्र से हमारे जीवन में क्या परिवर्तन आ सकता है?
ज्ञान की सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे समझें और फिर इसे दिन-प्रतिदिन अपने जीवन में लागू करें।
हम इंटरनेट के माध्यम से स्वयं से या परमात्मा से नहीं जुड़ सकते।
इंटरनेट का आविष्कार होने के बहुत पहले से, संत और ऋषि-मुनि सुमिरन और ध्यान या समाधि के माध्यम से अपने इनर-नेट अर्थात अंतर्मन में लॉग इन (Login) करके स्वयं और ईश्वर के साथ जुड़े रहते थे।
स्वयं से या ईश्वर से जुड़ने का एकमात्र तरीका है अंतर्मन - इनरनेट - न कि इंटरनेट।
आइए हम अधिक से अधिक समय अपने इनर-नेट पर लॉग ऑन (Log-on) करने का प्रयास करें।
' राजन सचदेव '
कुछ लोगों को तो जैसे ही एक मैसेज मिलता है, वे इसे दूसरों तक पहुंचाने के लिए दौड़ पड़ते हैं। बहुत से लोग तो उसे बिना समझे या बिना पढ़े ही बीस पच्चीस लोगों को आगे भेज देते हैं।
ज़रा सोचिए कि ज्ञान की बातों को - विद्वता भरे शब्दों को केवल आगे फॉरवर्ड कर देने से - इसे समझे बिना केवल दूसरों के साथ सांझा कर देने मात्र से हमारे जीवन में क्या परिवर्तन आ सकता है?
ज्ञान की सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे समझें और फिर इसे दिन-प्रतिदिन अपने जीवन में लागू करें।
हम इंटरनेट के माध्यम से स्वयं से या परमात्मा से नहीं जुड़ सकते।
इंटरनेट का आविष्कार होने के बहुत पहले से, संत और ऋषि-मुनि सुमिरन और ध्यान या समाधि के माध्यम से अपने इनर-नेट अर्थात अंतर्मन में लॉग इन (Login) करके स्वयं और ईश्वर के साथ जुड़े रहते थे।
स्वयं से या ईश्वर से जुड़ने का एकमात्र तरीका है अंतर्मन - इनरनेट - न कि इंटरनेट।
आइए हम अधिक से अधिक समय अपने इनर-नेट पर लॉग ऑन (Log-on) करने का प्रयास करें।
' राजन सचदेव '
No comments:
Post a Comment