Monday, June 24, 2019

कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं

कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं
जहाँ ख़ामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं

कटा जब शीश सैनिक का तो हम ख़ामोश रहते हैं
कटा एक सीन पिक्चर का तो सारे बोल जाते हैं

कुर्सी मुल्क खा जाए तो कोई कुछ नहीं कहता
मगर रोटी की चोरी हो तो सारे बोल जाते हैं 


ग़रीबों के घरों की बेटियाँ अब तक कुँवारी हैं
कि रिश्ता कैसे होगा जबकि गहने बोल जाते हैं

नई नस्लों के ये बच्चे ज़माने भर की सुनते हैं
मगर माँ बाप कुछ बोलें तो बच्चे बोल जाते हैं

बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी
मगर मज़दूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं

अगर मख़मल करे ग़लती तो कोई कुछ नहीं कहता
फटी चादर की ग़लती हो तो सारे बोल जाते हैं

हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं
चिराग़ों से हुई ग़लती तो सारे बोल जाते हैं

बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से अक्सर हम
मगर घर में ज़रुरत हो तो रिश्ते 
बोल जाते हैं 

कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं
जहाँ ख़ामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं
                  ✍ अज्ञात 

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega