किसी की बात अब कानों में न जाए तो अच्छा है
तेरी तालीम ही मुझको समझ आए तो अच्छा है
खुदा जाने यह कैसा दौर है, यह कैसी माया है
समझ कर लेना है क्या, न समझ आए तो अच्छा है
मेरे मुरशिद पै मेरा दिन-ब-दिन ईमान पुख्ता हो
परखने की मुझे नौबत न फिर आए तो अच्छा है
तेरी कशती से कूदेंगे, तो लाज़िम है कि डूबेंगे
जो ग़लती से उतर बैठा है लौट आए तो अच्छा है
तेरी आवाज़ सुन-सुन के, तो कुछ सीखा नहीं 'रौशन'
तेरी खामोशियों को दिल जो सुन पाए तो अच्छा है
'रौशन देहलवी '
तेरी तालीम ही मुझको समझ आए तो अच्छा है
खुदा जाने यह कैसा दौर है, यह कैसी माया है
समझ कर लेना है क्या, न समझ आए तो अच्छा है
मेरे मुरशिद पै मेरा दिन-ब-दिन ईमान पुख्ता हो
परखने की मुझे नौबत न फिर आए तो अच्छा है
तेरी कशती से कूदेंगे, तो लाज़िम है कि डूबेंगे
जो ग़लती से उतर बैठा है लौट आए तो अच्छा है
तेरी आवाज़ सुन-सुन के, तो कुछ सीखा नहीं 'रौशन'
तेरी खामोशियों को दिल जो सुन पाए तो अच्छा है
'रौशन देहलवी '
Hum Chah kar bhi nahi keh sakte jo,
ReplyDeleteAAP ki syahi-e-Kalam kagaz pe utar leti Hai, yeh Acchha hai