Tuesday, August 22, 2017

ये क्या करते हो ?

पत्थर दिलों को मीत बनाते हो - ये क्या करते हो
बहरों को संगीत सुनाते हो -ये क्या करते हो

​ जानते ​तो हो ​ कि दुनिया माटी का खिलौना है
फिर भी इस से दिल को लगाते हो -ये क्या करते हो

 ​इश्के हकीकी की चाहत और ​दुनिया से प्रेम भी
आग को पानी से मिलाते हो - ये क्या करते हो

इक कमल का फूल है जो कीचड़ में भी हँसता है
​तुम ​गुलशन में सोग मनाते हो - ये क्या करते हो 


पहले कहते थे कि सब रस्मो रिवायत छोड़ दो
अब नई रस्में तुम सिखाते हो - ये क्या करते हो

 
छोड़ो ​वहमों भरमों को ​​पहले तो ये समझाया था
 अब नये ​भरमों में उलझाते हो - ये क्या करते हो

उँगली पकड़ पकड़ के जिसकी चलना तुमने सीखा था
आज उन्हीं को ही तुम समझाते हो  -ये क्या करते हो 


दे के सब को रौशनी वो ​दिया अमन का बुझ गया ​
राख ​अब माथे से लगाते हो - ये क्या करते हो

जब तुम्हारे पास थे ​ तो बात उनकी मानी ना
​अब नाम उनका ले के समझाते हो - ये क्या करते हो

मन को साफ़ कर के आना चाहिए सतसंग में
जिस्म को सजा के आ जाते हो -ये क्या करते हो 


हम ख़लूसे दिल से  हमेशा तुम्हें  चाहा किए
तुम हमीं से आँख चुराते हो - ये क्या करते हो 

बातें तो करते हो ऊँची ऊँची तुम 'राजन ' मगर
बातों से ही दिल को बहलाते हो  -ये क्या करते हो 
                                    'राजन सचदेव '


15 comments:

  1. Beautiful .... so thought provoking .... it's hard for me to thank you enough for sharing these thoughts 🙏🙏

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  2. Beautiful! Thank you for sharing.

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  3. Very True !!
    Kind Regards
    Kumar

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  4. Rev. Rajan Sachdeva
    many many Thanks for your valuable thoughts.
    Premjit Singh & Satwant Kaur .

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  5. दे के सब को रौशनी वो ​दिया अमन का बुझ गया ​
    राख ​अब माथे से लगाते हो - ये क्या करते हो

    जब तुम्हारे पास थे ​ तो बात उनकी मानी ना
    ​अब नाम उनका ले के समझाते हो - ये क्या करते हो

    दिल छू गयी आपकी कविता।

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  6. बहुत ख़ूब।
    बातों ही बातों में आइना दिखाते हो - ये क्या करते हो।
    Pratik

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  7. Bahut achhi Kavita hai... very nice

    Kya khub apki soch hai... Kya khub usse kagaj pr sjate ho.....
    humeh hamara chehra dikhate ho. Yeh Kya karte ho

    Moksh .. Delhi

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  8. सत्संग में यहाँ संगतें इस इलाही इल्म की मुंतज़िर हैं,
    रूबरू न होकर, तकनीकी पर्दे पर क़लम से, भावों को झकझोर जाते हो- यह क्या करते हो??
    ����������

    गुस्ताखी़ के लिए माफ़ी��������������
    K S

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  9. Bahut achha thought hai, Rajan Ji aapka jvab nahi

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  10. Superb !
    Reita agarwal

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  11. The Shayari is really great and the line is so catchy "Yeh kya karte ho"
    Ravinder S.

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  12. To whomever it concerns. Surely u are not giving word of caution to yourself?

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega