Monday, March 21, 2016

न जाने कब खुलेगा ... Na jaane kab khulega

न जाने कब खुलेगा 'राजन ' मुझ पे दरवाजा -ऐ -ग़ैब 
न जाने कब मेरी हस्ती को होगी  मा'रफ़त  हासिल 

Na jaane kab khulega mujh pe 'Rajan' darvaaja-e-ghaib
Na jaane kab meri hasti ko hogi  M'aarfat  haasil


Darvaaja-e-ghaib ........... Door to the hidden, unknown 'Reality'
M'aarfat  ..............    Essence of Spirituality, Saintly-hood
Haasil  ....................  To attain,  Achieve

2 comments:

  1. दरवाज़ा-ऐ-ग़ैब की हसरत में बरसों गुज़र गए
    आओ दुआ करें कि अब ये हसरत भी ना रहे

    Pratik Shrivastva

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  2. Thank you Pratik ji
    Freedom from any 'hasarat' is in fact real 'Moksha'
    Rajan

    ReplyDelete

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