ज़ुबां किसी ने खरीद ली, क़लम भी अब ग़ुलाम हैपहरे लगे हैं सोच पर - दिल पर पड़ी लगाम है
न अक़्ल ही आज़ाद है, न होश का कोई काम है
पड़ गए हैं रुह पे परदे - ज़िंदगी गुमनाम है
छुप गयीं हक़ीक़तें - रस्मों का चर्चा आम है
इबादतें भी आजकल रिवायतों का नाम है
सच का सूरज छुप रहा है ढल रही अब शाम हैख़ामोशियाँ ही बेहतर हैं, ये वक़्त का पैग़ाम है हक़ूमतों का दौर है, दौलत का एहतिराम है
वो - कि जो आज़ाद है, 'राजन' उसे सलाम है
'राजन सचदेव'
हक़ीक़तें -- Realities, Truth
रस्मों का -- Traditions , Rituals
इबादतें -- Devotion
रिवायतों का -- Rituals
एहतिराम -- Respect, Value, Importance
kya khoob kaha hai ji...Waah
ReplyDeleteRegards
Kumar
बहुत खूब राजन जी
ReplyDeleteBeautiful !!!!!
ReplyDeleteBilla Sachdeva