भगवान से अक़्ल नहीं, विद्वता नहीं -
नसीब माँगो, कृपा मांगो .......
क्योंकि मैंने हमेशा विद्वानों को भाग्यवानो के लिए काम करते देखा है
दिमाग़ वालों को नसीब वालों की नौकरी करते ही देखा है
न जाने कौन सी बात आख़िरी होगी न जाने कौन सी रात आख़िरी होगी मिलते जुलते बात करते रहा करो यारो न जाने कौन सी मुलाक़ात आख़िरी होगी ...
Waaoo......ur words always work for me.just like medicine ��....bless me...
ReplyDeleteGaurav Bhagat