Thursday, May 30, 2024

मन पंछी तब लग उड़ै

मन पंछी तब लग उड़ै विषय वासना माहिं।
ज्ञान बाज की झपट में जब लगि आवै नाहिं ।। 
                                 कबीर वाणी

सद्गुरु कबीर जी कहते हैं कि मन रुपी पक्षी विषय वासनाओं के आकाश में तभी तक उड़ता है जब तक ज्ञान रुपी बाज़ की पकड़ में नहीं आता। 
जिस तरह एक बाज़ किसी छोटी सी चिड़िया को झपट कर अपनी लपेट में ले लेता है उसी तरह जो मन ज्ञान की लपेट आ जाए वह संसार की वासनाओं में नहीं भटकता। 

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पत्थर में इक कमी है -               वो पिघलता नहीं है पर इक ख़ूबी भी है -                वो बदलता नहीं है       ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ न पिघलना...