Friday, September 23, 2022

पर्यटक / मुसाफिर

भारत में वेदांत दर्शन के एक प्रसिद्ध संत जी शास्त्रों के गहन ज्ञान के साथ साथ अपनी विनम्रता और सादगी के लिए भी प्रसिद्ध थे। 
दूर दूर तक उनकी ख्याति फैली हुई थी। 
अमेरिका का एक पर्यटक उन से मिलने उनके निवास स्थान पर गया।  
वह यह देखकर हैरान रह गया कि संत जी के घर में केवल एक ही कमरा था जो किताबों से भरा हुआ था।
कमरे में एकमात्र फर्नीचर एक छोटी सी मेज़ और एक बेंच थी जो रात में बिस्तर का भी काम करती थी।
"गुरु जी, आपका फर्नीचर कहाँ है?" आगंतुक ने पूछा।
 संत जी ने कहा -  "तुम्हारा फर्नीचर कहाँ है?"
"मेरा? लेकिन मैं तो यहाँ सिर्फ़ एक पर्यटक हूँ। एक मुसाफिर - एक मेहमान हूँ "
 गुरु जी ने कहा - " मैं भी तो वही  हूँ --  मैं भी एक मुसाफिर - एक मेहमान ही तो हूँ "।
            ~~~~~~~~~~~~~~~~

आज हम वीं सदी में - एक आधुनिक समाज में रहते हैं। 
हमारे पास बहुत सी चीजें हैं - हमारे घरों में इतने सारे स्वचालित यंत्र (गैजेट) हैं, लेकिन  फिर भी हम संतुष्ट नहीं हैं।
हमारे वार्डरोब कपड़ों से भरे पड़े हैं। 
और फिर भी - अगर हमें किसी के घर, किसी समारोह या पार्टी में, या यहां तक ​​कि किसी विशेष सत्संग के लिए भी जाना होता है, तो हम शिकायत करते हैं कि हमारे पास इस अवसर पर पहनने के लिए कोई कपड़े ही नहीं है। 
और हम नए कपड़े खरीदने चले जाते हैं।
हमारी पैंट्री और रेफ्रिजरेटर भोजन से भरे रहते हैं 
फिर भी बच्चे शिकायत करते हैं, "इस घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं है।"

ऐसा लगता है कि हमारे पास जितना अधिक है, हम उतने ही कम संतुष्ट हैं।
हमें जितना अधिक मिलता है - हम उतनी ही अधिक शिकायतें करने लगते हैं। 
ये सब क्या हो रहा है? ऐसा क्यों हो रहा है?
                             " राजन सचदेव "

4 comments:

  1. 🙏🏻🙏🏻ऐसे महान संत जी का क्या नाम था

    ReplyDelete
    Replies
    1. उनका मैसेज उनके नाम से ज़्यादा important है जी 😊🙏

      Delete
  2. Beautiful Message and so true. _/\_

    ReplyDelete

Khamosh rehnay ka hunar - Art of being Silent

Na jaanay dil mein kyon sabar-o-shukar ab tak nahin aaya Mujhay khamosh rehnay ka hunar ab tak nahin aaya Sunay bhee hain, sunaaye bhee hain...