जिन के पास लाखों होते हैं उनकी नज़रों में एक की कोई कीमत नहीं होती।
चाहे वो लाखों रुपये हों या लाखों अनुयायी।
वो जानते हैं कि एक रुपया - लाख रुपयों के बराबर नहीं होता। इसलिए उन्हें एक रुपये की क़दर नहीं होती।
अगर उनके हाथ से एक-आध रुपया गिर भी जाए तो उन्हें उसकी परवाह नहीं होती।
लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि अगर लाख में से एक भी निकल जाए तो लाख भी लाख नहीं रहता।
आप शायद लाख होंगे और और कोई दूसरा आप की निगाह में एक रुपये के बराबर होगा।
लेकिन ध्यान रखिये - उस एक को छोड़ देने से - अपने जीवन में से निकाल देने के बाद आप भी लाख नहीं रह पाएंगे।
इसलिए हर इंसान की - और उसके विचारों की क़दर करें।
हर इंसान में कोई न कोई गुण होता है। हर इंसान का अपना मूल्य होता है।
केवल विचारों में मतभेद होने के कारण उनका तिरस्कार करके उन्हें दूर न करें - न ही उन्हें दूर होने दें।
जैसे कहा है कि :
तिनका कबहुं न निंदिये - पाँव तले जो होय
कबहुँ उड़ि आंखन पड़े तो पीर घनेरी होय
पाँव के नीचे पड़ा हुआ तिनका हमें तुच्छ दिखाई देता है
लेकिन अगर कहीं वो उड़ कर हमारी आँख में पड़ जाए - तब हमें उसकी ताक़त का एहसास होता है -
कि वो छोटा सा तिनका भी कितना कष्टदायक हो सकता है।
इसलिए किसी भी कारण से कभी भी किसी का तिरस्कार न करें।
कभी किसी की उपेक्षा अथवा अनादर न करें। किसी का मज़ाक न बनाएं।
अगर किसी को सम्मान न दे सकें तो कम से कम उनका अपमान तो न करें।
" राजन सचदेव "
True . Value of One
ReplyDeleteJitna yeh kehne mei asaan lagta utna hota nahi . Jub kisi ki ek chhoti si galti k liye usey samaj se hi dutkaar kr bahar ker diya jata hai chahe usne zindagi ke 40-50 saal bahut hi samjhdari aur kushalta se bitaye ho🤔fir usey moun rehne ko kaha jata hai bus
ReplyDeleteAap ne sahi kaha hai main aap ke vicharo se bahut kuchh seekhti hu dhanyawad 🙏
ReplyDeleteBahut he sunder bachan ji.🙏
ReplyDeleteBahut hi sundar aur satik ...sutra
ReplyDeleteSatvacha g 🙏
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