Monday, October 28, 2019

तत् कर्म यत् न बन्धाय - सा विद्या या विमुक्तये

तत् कर्म यत् न बन्धाय - सा विद्या या विमुक्तये ।
आयासाय अपरं कर्म - विद्या अन्या शिल्पनैपुणम् ॥

                                                    ~विष्णुपुराण~

कर्म वह है जो बंधन में न डाले - विद्या वह है जो मुक्त कर दे।
अन्य कर्म केवल श्रम मात्र हैं - और अन्य विद्याएँ केवल यांत्रिक निपुणता हैं

अर्थात जिस कर्म से मनुष्य बन्धन में नही बन्धता वही सच्चा कर्म है ।
जो मुक्ति का कारण बनती है वही सच्ची विद्या है ।
शेष कर्म तो बंधन का ही कारण बन जाते हैं जिनके करने से प्राय चिन्ता और कष्ट ही प्राप्त होते हैं |

13 comments:

  1. Very inspiring

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  2. सा विद्या या विमुक्तये इस सुुभाषित के सन्दर्भ और अर्थ को सार्वजनिक करने हेतु धन्यवाद। जन कल्याण के लिए आपकीयआपकी प्रवृत्ति प्रशंसनीय है।

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  3. Prakran,adhyay air shook ka Kramer bhi bataye

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  4. Your blog is very inspiring. Please also write about your life and what you read in your free time? We need people like you. Thanks Guruji

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  5. बहुत सुंदर राधे श्याम

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  6. ज्ञानवर्धन के लिए साधुवाद।

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  7. विद्या का महत्व देने वाला श्लोक है।

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  8. उत्तमं सुभाषितम्

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  9. बहु शोभनं

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