Wednesday, September 18, 2019

रोज़ कमाने जाता हूँ Roz kamaanay Jaata hoon

न ही सुख - न चैन ख़रीद पाता हूँ
फिर भी मगर रोज़ कमाने जाता हूँ


Na hee Sukh - Na chain khareed paata hoon
Phir bhi magar roz kamaanay Jaata hoon 


2 comments:

जीवन-काल चक्र

जिन की उंगलियां पकड़ के चलना सीखे थे हाथ उनके कांपते अब देख रहे हैं अब वो चलते हैं तो पाँव लड़खड़ाते हैं  लाठी पकड़ के उनको चलते देख रहे हैं  वक़...