Tuesday, May 29, 2018

डुबो कर चाशनी में लफ़्ज़ Dubo kar chaashni me lafz

न जाने क्यों मुझे महफ़िल में चुप रहना नहीं आता
डुबो कर चाशनी में लफ़्ज़, मुझे कहना नहीं आता

पहाड़ों जैसे दुःख भी झेलते कुछ लोग देखे हैं
मगर मुझको तो थोड़ा सा भी दुःख सहना नहीं आता

ये लहरें तो समंदर में रहेंगी उठती और गिरती
करे वो क्या जिसे लहरों के संग बहना नहीं आता

कुछ ऐसे लोग भी दुनिया में हमने देखे हैं 'राजन '
जिन्हें सब कुछ मिला है पर शुकर करना नहीं आता

                                    "राजन सचदेव "
                               
               (29 मई 2018)

Na jaanay kyon mujhe mehfil me chup rehnaa nahin aata 
Dubo kar chaashni me lafz, mujhe kehnaa nahin aata

Pahaadon jaisay dukh bhi jheltay kuchh log dekhain hain
Magar mujhko to thodaa saa bhi dukh sehnaa nahin aata

Ye Lehren to samandar me rahengi uthti aur girti
Karay vo kya jisay lehron kay sang behnaa nahin aata

Kuchh aesay log bhi duniya me hum nay dekhay hain 'Rajan'
Jinhen sab kuchh milaa hai par shukar karnaa nahin aata

                                 'Rajan Sachdeva'
   
                                     May 29, 2018
Chaashni     -    Sugar syrup

2 comments:

  1. Bahut sundar bhaav ji....and true,heart touching

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  2. वाह !👏🏼🙏🏼👏🏼👏🏼

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