Wednesday, September 13, 2017

वो हमसफ़र था मगर

वो हमसफ़र था मगर -उस से हमनवाई न थी 
कि धूप छाओं का आलम रहा - जुदाई न थी 

अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं  मगर 
बिछड़ने वाले में सब कुछ था - बेवफ़ाई न थी 

बिछड़ते वक़्त - उन आँखों में थी हमारी ग़ज़ल 
ग़ज़ल भी वो जो किसी को कभी सुनाई न थी 

कभी ये हाल कि दोनों में यकदिली थी बहुत 
कभी ये मरहला जैसे कि आशनाई न थी 

मोहब्बतों का सफ़र इस तरह भी गुज़रा था 
शिकस्ता दिल थे मुसाफ़िर -शिकस्तपाई न थी 

न अपना रंज, न औरों का दुःख, न तेरा मलाल 
शबे फ़िराक़ कभी हमने यूं गंवाई न थी 

किसे पुकार रहा था वो डूबता हुआ दिन 
सदा तो आई थी -लेकिन कोई दुहाई न थी 

अजीब होती है राहे-सुखन भी देख "नसीर"
वहां भी आ गए आखिर जहां रसाई न थी 
                                  "नसीर तुराबी "


हमसफ़र              Companion 
हमनवाई              Harmony, understanding, unison conversation 
आलम                 Situation
अदावतें               Enmity, Animosity    
तग़ाफ़ुल              Indifference
रंजिशें                 Feelings of anger
बेवफ़ाई              infidelity 
यकदिली            Oneness of hearts
मरहला               moment
आशनाई             Friendship, affectionate relationship
शिकस्ता -दिल      Broken heart, disheartened 
शिकस्त पाई        Defeated, 
रंज                      sorrow 
मलाल                 sadness 
शबे फ़िराक़        Night of separation
सदा                    Call
दुहाई                 Cry for help
राहे  सुख़न         Ways of speech
रसाई                 पहुँच , Reach

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