Monday, September 29, 2025

जब तक साँस चलती है

              उठाना ख़ुद ही पड़ता हैं थका टूटा बदन ‘फ़ख़री’
              कि जब तक साँस चलती है कोई कन्धा नहीं देता!
                                           - ज़ाहिद फ़ख़री  -

ज़ाहिद फ़ख़री का यह सरल सा दिखने वाला शेर जीवन की एक कड़वी सच्चाई की तरफ इशारा करता है: कि अक़्सर कठिन समय में, जब हमें किसी के सहारे की सख़्त ज़रुरत महसूस होती है, तो बहुत कम लोग ही साथ खड़े होने और मदद करने के लिए आगे आते हैं।
हर किसी को अपनी यात्रा का बोझ खुद ही उठाना होता है।
हो सकता है कि कुछ लोग कुछ समय के लिए हमारे साथ चल पड़ें, कुछ दिलासा देने वाले शब्द कह दें या कुछ समय के लिए साथ बैठ जाएँ - लेकिन जब ज़िंदगी का बोझ ज़्यादा बढ़ जाए -  जब हिम्मत डगमगाने लगे, तो स्वयं को फिर से खड़ा करने की ताकत स्वयं ही जुटानी पड़ती है। 
हमें अपना बोझ खुद ही उठाना होता है। 

ये कैसी विडंबना है - कितनी अजीब बात है - कि जब सांस रुक जाती है, तो अर्थी को कंधा देने के लिए अचानक ही असंख्य लोग आगे आ जाते हैं। 
लेकिन जब सांसें चल रही होती हैं और इंसान संघर्ष कर रहा होता है, तो बहुत कम लोग सहायता के लिए और सही मायने में साथ देने के लिए आगे आते हैं। 

इसलिए जीवन में कभी दूसरों पर ज़्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए।
हमेशा दूसरों से उम्मीद न रखें कि वे आपको सहारा देने आएंगे।
जीवन का रास्ता अकेले ही तय करना होता है, 
और जीवन की असली गरिमा भी इसी में है कि हम स्वयं ही अपने रास्ते का चयन करें और अपना बोझ भी स्वयं ही उठाने का प्रयत्न करें।” 
                                         " राजन सचदेव "

5 comments:

  1. Words of wisdom 👌
    Thanks Rajan ji
    Ashok Chaudhary

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  2. 🙏Excellent.Yahee Atal Sachayee hay ji.Bahut hee Uttam Shikhsha ji 🙏

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  3. जीवंत सत्य जी🙏

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  4. बहुत खूब, पड कर सुकून मिला और अच्छा भी लगा कि सहारा तो ईश्वर ही है अंतिम स्वास तक।। 🌹🙏🌷

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Jab tak saans chalti hai - As long as the breath continues

      Uthaana khud hee padta hai thakaa toota badan 'Fakhri'       Ki jab tak saans chalti hai koi kandhaa nahin detaa              ...