Saturday, September 6, 2025

जीवन का अदृश्य खाता

जब हम अपने बैंक खाते में से कुछ धनराशि निकालते हैं, तो हमें बता दिया जाता है कि हमारे खाते में कितना बकाया है - कितना बाकी बचा है।                        
जब हम क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं, तो हमें हमारे उपलब्ध खर्च की सीमा बता दी जाती है — कि सीमा तक पहुँचने से पहले हम और कितना खर्च कर सकते हैं।
हर आर्थिक लेन-देन के साथ एक विवरण, एक रसीद, और एक स्पष्ट सीमा होती है।

परन्तु समय — जो सबसे कीमती मुद्रा है — इस से अलग है। 
समय ही एकमात्र ऐसी मुद्रा है जिसे हम बिना अपने शेष को जाने लगातार खर्च करते रहते हैं। 
हम इसे हर क्षण खर्च तो करते हैं, लेकिन इसका कोई विवरण हमें नहीं दिया जाता।
यह हर पल चुपचाप कटता रहता है, परन्तु जो बाकी बचा है - उसके बारे में कभी पता नहीं चलता।
न कोई विवरण, न चेतावनी, न ही शेष बचे समय की जानकारी।
हम वास्तव में कभी नहीं जान पाते कि हमारे जीवन के खाते में कितना समय बाकी बचा है। 

यही कारण है कि समय सबसे नाजुक और सबसे अधिक मूल्यवान मुद्रा मानी जाती है — धन से भी कहीं अधिक।
क्योंकि धन की तरह - समय को न तो दोबारा कमाया जा  सकता है 
न उधार लिया जा सकता है, और न ही आगे के लिए संभाल के रखा जा सकता है।     
        
फिर भी, एक बात तो निश्चित है: - 
कि यह खाता अनंत नहीं है।  
और जब यह शून्य पर पहुँच जाता है, तो इसकी अवधि बढ़ाई नहीं जा सकती। 

इसलिए अपने समय को हमेशा समझदारी और सजगता से खर्च करना चाहिए —
उन बातों पर जो वास्तव में महत्वपूर्ण हैं  
उन लोगों पर जो वास्तव में हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं 
और उन कर्मों पर जो जीवन को अर्थ देते हैं। 

जो समय बीत चुका है, वह तो सदा के लिए जा चुका है।
अब तो इस बात का महत्व है कि हम अपने शेष बचे हुए अदृश्य समय को कैसे खर्च करें ताकि अपने जीवन को सार्थक बना सकें।
                        " राजन सचदेव "

10 comments:

Jab tak saans chalti hai - As long as the breath continues

      Uthaana khud hee padta hai thakaa toota badan 'Fakhri'       Ki jab tak saans chalti hai koi kandhaa nahin detaa              ...