Monday, March 10, 2025

रुप सब तुम्हारे हैं और स्वयं तुम अरुप हो

     सर्वशक्तिमान निरंकार प्रभु को समर्पित

तुम से है ब्रह्माण्ड तुम जगत का मूल रुप हो 
रुप सब तुम्हारे हैं और स्वयं तुम अरुप हो 

अनादि हो अनंत हो अछेद हो अभेद हो 
अचल हो अविचल हो तुम अजेय हो अनूप हो 

निराकार रुप में निर्गुण हो निर्विकार हो 
जगत के कण कण में तुम साकार का प्रतिरुप हो 

आंख जब खुले तो तुम ही तुम नज़र आओ मुझे  
बंद आँखों में बसा हरदम  तुम्हारा रुप हो  

तुम से ही जीवन है मेरा तुम मेरे आधार हो 
साथ रहते हो हमेशा छाओं हो या धूप हो  

'राजन' की है प्रार्थना जीवन के अंतिम स्वास तक 
ध्यान आपका हो  - सोच आपके अनुरुप हो 
                          " राजन सचदेव "

12 comments:

  1. हम सभी की यही अर्चना है 🌺

    ReplyDelete
  2. साध संगत जी प्यार से कहना, धन निरंकार जी. दातार सबकी तोड़ निभाए जो चरणों से जुड़े हैं 🙏🙏🌹🌹

    ReplyDelete
  3. Bahut hee Uttam Rachana.

    ReplyDelete
  4. Amazing Thoughts, Compiled amazingly....Thanks for sharing

    ReplyDelete
  5. Thanks for these lines uncle ji, The Best
    Sabke hirday me sama jaye ji

    ReplyDelete
  6. 🥀🥀🙏🏻🥀🥀

    ReplyDelete
  7. Very nice ji 👍🎊👌🙏🙏

    ReplyDelete
  8. Bahut He Sunder Parathna Nirakar Prabhu Ke Aage.

    ReplyDelete
  9. Superb🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  10. Beautiful Poem and prayer 🙏🙏

    ReplyDelete
  11. रूप सब तुम्हारे हैं, अति सुंदर सच्चाई से जुडी कविता के लिए बधाई जी।

    ReplyDelete
  12. As Usual beautiful and touching the soul 🙏🙏

    ReplyDelete

रुप सब तुम्हारे हैं और स्वयं तुम अरुप हो

      सर्वशक्तिमान निरंकार प्रभु को समर्पित तुम से है ब्रह्माण्ड तुम जगत का मूल रुप हो  रुप सब तुम्हारे हैं और स्वयं तुम अरुप हो  अनादि हो अ...