अब जहाँ में कब किसी का दर्द बंटवाते हैं लोग
रुख हवा का देखकर अक़सर बदल जाते हैं लोग
Ab jahaan mein kab kisi ka dard bantvaate hain log
Rukh havaa ka dekh kar aqsar badal jaate hain log
(Writer unknown)
हज़ारों ख़ामियां मुझ में हैं मुझको माफ़ कीजिए मगर हुज़ूर - अपने चश्मे को भी साफ़ कीजिए मिलेगा क्या बहस-मुबाहिसों में रंज के सिवा बिला वजहा न ...
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