एक मैं ही समझदार हूँ बाकी सब नादान
इसी भ्रम में घूम रहा है देखो हर इंसान
Ek main hee samajhdaar hoon baaki sub nadaan
Isi Bharam me ghoom rahaa hai dekho har insaan
हज़ारों ख़ामियां मुझ में हैं मुझको माफ़ कीजिए मगर हुज़ूर - अपने चश्मे को भी साफ़ कीजिए मिलेगा क्या बहस-मुबाहिसों में रंज के सिवा बिला वजहा न ...
Hazoor baba ji aksar फरमाते थे ........मारा गया जिसने कहा मैं बड़ा।
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