तआ'रुफ़ रोग हो जाए तो उस को भूलना बेहतर
त'अल्लुक़ बोझ बन जाए तो उस को तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक ख़ूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
" साहिर लुध्यानवी "
भावार्थ :
अगर परिचय अर्थात जान-पहचान मुसीबत बन जाए तो उसे भूल जाना ही अच्छा है
कोई रिश्ता अगर बोझ बन जाए तो उसे तोड़ देना ही बेहतर है
वो कहानी - वो सम्बन्ध जिसे सुखद अंत तक - पूर्णता तक लाना संभव न हो
उसे एक ख़ूबसूरत सा मोड़ दे कर छोड़ देना ही बेहतर है
शब्दार्थ :
तआ'रुफ़ = परिचय, जान-पहचान
त'अल्लुक़ = संबंध, रिश्ता
अंजाम = अंत, पूर्णता
धन निरंकार जी, साहिर लुधियानवी एक महान कवि यह गीत किसी हिंदी पिक्चर में भी गाया है. 🙏🙏🌹🌹
ReplyDeleteजी हाँ - it's a part of - चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों
DeleteNice
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