Saturday, February 29, 2020

Among all the great things....

Among the great things which are to be found among us, 
The existence of Nothingness is the greatest. 
                                                            'Leonardo da Vinci'

Friday, February 28, 2020

Blissful Memories - Behan Krishna ji (Mrs.Brigadier Shamsher Singh ji)

We meet many people in our life. We forget some and remember some. However, some people we meet, leave a warm, kind, and friendly imprint on our minds forever. 
One such great personality I met in my early life was Krishna Behan ji - Mrs. Brigadier Shamsher Singh ji. 
She left this mortal world last week - At the age of ninety. 
Last week, when I received a message from her grandson Manpreet ji that Dadi Maa passed away, my mind started wandering on an old memory lane. 
I first met her and Brigadier Sahib (then a colonel) in 1967 in Ferozepur, Punjab. I was running 'Sangeet Vihaar - a small academy of Indian classical music while also working on my master's degree in music. At the same time, Shamsher Singh ji - a recipient of Veer Chakra - was also posted at Ferozepur Cantt. Though he was not able to come to Sangat regularly because of his work responsibilities, his wife Krishna Behan ji frequently came to Sangat on almost every Sunday. 
She was very fond of Indian classical music and poetry - which she inherited from her father Shri Kuljas Rai 'Saber' - a great Shayer (Urdu poet) and a well-known figure in the Nirankari Mission. Perhaps this mutual interest in classical music brought us a little closer at first - because she also played Sitar. But gradually, we had built a close family relationship, and we regularly visited each other. She always treated me like a younger brother - or more correctly, with motherly love. Since I was living there alone, they invited me over to their place more often for food or tea, etc. We always had a great time talking about philosophy, Shayari, and playing Sitar. 
But more than the interest in music and Shayari, the most impressive characteristic of her personality was her devotion and humility. Those, who are familiar with the lifestyle of army officers, know that the wives of army officers are treated with great respect - not only by the orderlies or soldiers but by the fellow officers as well, so it is natural for them to develop a sense of superiority. Krishna behan ji, however, had no such thing in her personality. Unlike in the homes of other officers or Adhikaaris, I had seen all visiting saints, and guests - regardless of their social status, rich or poor - were warmly welcomed and treated with equal respect in their home. She even preferred to serve them herself. 
In one of my earlier blogs* - which was a tribute to Brigadier Shamsher Singh ji, I have shared a very inspiring incidence of those days at their home, which showed the purity of their hearts, genuine humility and greatness.

Their sons Rubi (Ravinder Manhas ji) and Bindu (Virender Manhas ji) were quite young at that time. 
Bindu (Virender Manhas) had a keen interest in music and a great voice, so she put him in my school for Vocal lessons, which further enabled us to spend more time together.
Krishna Behan ji was not only a great devotee with many saintly qualities, but she also inspired her sons to walk on the same path of love, devotion, and humility. 
Now Ravinder Manhas ji lives in Gurgaon and has been granted several distinctive responsibilities at Sant Nirankari Mandal Delhi and 'Baba Gurbachan Singh Memorial College' Sohna. 
And Virender Manhas ji, now a professor at Jammu University, is a great devotee, a learned Pracharak, and an excellent singer as well. He loves to sing Sufi songs in a classical style.

Till her last breath, Krishna Behan ji lived a life full of love and devotion. Until a couple of years ago, even at that advanced age, she regularly attended the morning Sangats in Nirankari colony Delhi. She has been an inspiration to many who knew her personally.
I feel fortunate that I was able to visit her in Jammu - during my last trip to India in October 2019. I spent a couple of hours with her - along with Virender Ji and his wife at their home, where she very fondly talked about the 'good old' days of Ferozepur and reminded us of many old and beautiful memories. It was wonderful to see that she still had a good memory and the same fondness for music and poetry. 
But most of all, she still had the same elegance, but no arrogance - same love and devotion, but no ego. 
May we imbibe such great virtues in our lives as well. 
                             ' Rajan Sachdeva '

* https://rajansachdev.blogspot.com/2014/10/brigadier-shamsher-singh-ji.html

Tuesday, February 25, 2020

महा शिव-रात्रि - शिव मूर्ति की प्रतीकात्मकता

भगवान शिव, विष्णु, गणेश, सरस्वती, और दुर्गा, आदि हिंदू देवी देवताओं की छवियां उनके वास्तविक चित्र नहीं हैं - वे प्रतीकात्मक हैं। 
भारत के प्राचीन ऋषि मुनि एवं विद्वान अपने संदेशों को व्यक्त करने के लिए रुपक भाषा और प्रतीकात्मक चित्रों का उपयोग करते रहे हैं। 
इसलिए हिंदू विचारधारा को समझने के लिए, हमें उनके प्रतीकवाद को समझना होगा।
लगभग दस या बारह साल पहले, नैशविल (अमेरिका) में महा शिव-रत्रि के अवसर पर, मैंने अपनी समझ के अनुसार भगवान शिव की छवि के प्रतीकों की व्याख्या की थी । हाल ही में, कुछ लोगों ने मुझे इसे दोहराने के लिए कहा। इसलिए, इसे यहां पाठकों के लाभ के लिए पोस्ट किया जा रहा है। 

भगवान शिव को आदि-योगी और आदि-गुरु माना जाता है

योग और गुरु दोनों ही शब्द कुछ हद तक पर्यायवाची हैं।
योग का अर्थ है मिलना - योगी एवं आत्मज्ञानी का अर्थ है जो स्वयं को जान कर अपने आत्मिक स्वरुप में स्थित हो चुका है। 
गुरु का अर्थ है, जो अज्ञानता के परदे को हटाकर ज्ञान का प्रकाश प्रदान करता है - अर्थात दूसरों को आत्मज्ञान की शिक्षा देता है। 
एक गुरु - यदि वह स्वयं प्रबुद्ध योगी एवं आत्मज्ञानी नहीं है - वास्तविक गुरु नहीं हो सकता। 
इसी तरह, यदि एक योगी दूसरों को योग समझने और योगी बनने में  सहायता नहीं करता तो वह स्वार्थी समझा जाएगा। 
शिव आदि-योगी भी हैं और आदि-गुरु भी।

भगवान शिव की उपरोक्त छवि में प्रतीकों का संक्षेप विवरण

सबसे पहले देखने वाली बात है परिवेश - उनके आस-पास का वातावरण।
इस चित्र में भगवान शिव बहुत शांतिपूर्ण वातावरण में ध्यान मुद्रा में बैठे हैं। 
ज्ञान प्राप्त करने या जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए, परिवेश अर्थात आस-पास का वातावरण बहुत महत्वपूर्ण होता है। 
इसलिए, एक साधक को ज्ञान मार्ग पर चलने के लिए उपयुक्त परिवेश एवं  वातावरण को खोजने या तैयार करने का प्रयास करना चाहिए। 

शीश पर गाँठ में बंधे हुए उलझे बालों की लटें 

शीश अथवा सिर - मस्तिष्क (बुद्धि, और मन) का प्रतीक है और लहराते बाल बिखरे हुए विचारों और इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
एक गाँठ में बंधी लटों का अर्थ है इच्छाओं और विचारों का नियंत्रण एवं मन और बुद्धि की एकता।
     
शीष से बहती गंगा

पुराणों के अनुसार, भागीरथ की प्रार्थना पर जब गंगा ने स्वर्ग से धरती पर आना स्वीकार कर लिया तो सब को लगा कि जब वह स्वर्ग से नीचे उतरेंगी तो धरती उनके वेग को सहन नहीं कर पायेगी। तो भगवान शिव ने इसे अपने शिर पर धारण करके अपनी जटाओं में बाँध लिया और फिर धीरे-धीरे इसे पृथ्वी पर छोड़ा। 
गंगा ज्ञान का प्रतीक है, सत्य के ज्ञान का - जो शिव (गुरु) ने ऊपर स्वर्ग से अर्थात दिव्य प्रेरणा से प्राप्त किया - विचार रुपी जटाओं में संजोया, समझा - विश्लेषण किया और फिर इसे संसार में वितरण किया। इसलिए वह आदि-गुरु कहलाए। 

अर्धचंद्र

 शीश पर विराजित चंद्र शीतलता - शांति, एवं धैर्य का प्रतीक है।
जैसे चंद्र शीतलता प्रदान करता है वैसे ही एक योगी एवं गुरु के मन में शांति और धैर्य एवं स्वभाव में शीतलता होती है और उनसे मिलने वालों को भी अनायास ही शीतलता का अनुभव होने लगता है। 
 तीसरी आँख 

मस्तक पर तीसरी आंख - मन की आंख अर्थात ज्ञान-चक्षु का प्रतिनिधित्व करती है। 
जो साधारण आँखों से दिखाई न देने वाली वास्तविकता को - 
जो भौतिक आँखों से दिखाई देने वाली वस्तुओं के पीछे के यथार्थ को देखने और समझने की शक्ति रखती है। 

गले में लिपटा सर्प 
सर्प अर्थात सांप विष यानी बुराई का प्रतीक है। 
किसी भी प्राणी के अंदर विष के आस्तित्व से इनकार नहीं किया जा सकता। चाहे वह दूसरों को दिखाई दे या न दे - चाहे नियंत्रित हो या अनियंत्रित - कुछ हद तक यह विष - यह ज़हर हर इंसान के दिल में मौजूद रहता है।  
शिव ने इसे अपने गले में पहना है। 
सर्प है, लेकिन शिव के नियंत्रण में है - उन्हें काटता नहीं है। उसमें विष नहीं है - अब वह उनका या किसी और का नुक़सान नहीं कर सकता। 

नीलकंठ 
एक प्रसिद्ध पुराणिक प्रतीकात्मक कथा है:
सागर-मंथन के दौरान सागर में से अमृत और विष दोनों ही निकले। 
सागर-मंथन का अर्थ है आस्तित्व रुपी सागर का मंथन - जिस में सकारात्मकता और नकारात्मकता - अच्छाई और बुराई दोनों ही मौजूद हैं। 
सुर और असुर, सभी अमृत चाहते थे - कोई भी विष लेने के लिए तैयार नहीं था। 
यह जानते हुए कि नकारात्मकता का विष हमारे चारों ओर मौजूद है - इस से पूरी तरह से बचना संभव नहीं है, - शिव ने इसे निगल लिया लेकिन अपने गले से नीचे - अपने पेट में नहीं जाने दिया ताकि उन पर इसका कोई भी दुष्प्रभाव न पड़ सके। 
योगी एवं भक्त को भी अपने जीवन में कई बार बुराई एवं नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है लेकिन वह इसे अपने गले से नीचे नहीं उतरने देते ताकि वह इसके दुष्प्रभाव से बचे रहें। 
शरीर पर लिपटी राख

राख से ढ़का उनका शरीर इस बात का प्रतीक है कि शरीर मिट्टी से बना है और एक दिन राख हो कर मिट्टी में ही समा जाएगा।
शरीर पर लिपटी राख हमें याद दिलाती है कि शरीर स्थायी नहीं है - हमेशा नहीं रहेगा। 

त्रिशूल

शांत एवं ध्यान मुद्रा में शिव की मूर्ति अथवा चित्र में उनका त्रिशूल उनसे कुछ दूर धरती में गड़ा हुआ दिखाया जाता है।
त्रिशूल के तीन शूल  तीन गुणों का प्रतीक हैं।
त्रिशूल उनके हाथ में या उन के शरीर पर नहीं है - इसे दूर रखा गया है - अर्थात शिव तीनों गुणों से परे हैं - त्रिगुणातीत हैं। 
लेकिन ताण्डव मुद्रा में त्रिशूल उनके हाथ में होता है अर्थात ज़रुरत पड़ने पर दुष्टों के विनाश के लिए वह इसका उपयोग भी कर सकते हैं। 
डमरु 

भारत में, विशेषतया उत्तर भारत में कोई घोषणा करने के लिए - लोगों को इकठ्ठा करने के लिए के गाँवों में डमरु - और बड़े शहरों में ढोल बजाया जाता था।  
आदि-गुरु के हाथ में डमरु एक घोषणा का प्रतीक है - साधकों एवं जिज्ञासुओं के लिए ज्ञान-प्राप्ति के आमंत्रण का प्रतीक है। 
जिसे स्वयं यथार्थ का ज्ञान हो गया हो उसके मन में इसे दूसरों के साथ सांझा करने की इच्छा होती है तो वह डमरु बजाने लगता है अर्थात निमंत्रण देने लगता है।   
कमंडल

योगी अथवा गुरु के सामने रखा हुआ एक छोटा सा कमण्डल संतोष का प्रतीक है।
उसकी आवश्यकताएं कम हैं- जो उस छोटे से कमंडल में आ सकती हैं।
वह असाधारण और अत्यधिक रुप से कुछ भी इकट्ठा नहीं करते - उनके मन में कोई लालच नहीं होता।
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इन चित्रों की प्रतीकात्मकता को समझने से हमें आध्यात्मिकता के सही मार्ग को समझने और उस पर चलने में मदद मिल सकती है।
" राजन सचदेव "
                      

Monday, February 24, 2020

Yaa Mati - Saa Gati Bhavait

If we put a diamond in a box -
it becomes a jewelry box.
If we put trash in it,
it becomes a trash can.
What we will become -
depends upon the kind of thoughts, concepts, and beliefs we store in our heads.

Ashtavakra said to King Janak: 
                                  या मतिः  सा गतिर्भवेत 
                             Yaa Mati - Saa Gatirbhavait
What you think, that you will become.  

Sunday, February 23, 2020

वो तुम्हें याद करे Vo tumhen yaad karay

वो तुम्हें याद करे , जिसने भुलाया हो तुम्हें
न मैंने तुमको भुलाया कभी, न याद किया

Vo tumhen yaad karay jis nay bhulaaya ho tumhen
Na mainay tumko bhulaaya kabhi - na yaad kiya

Friday, February 21, 2020

Happy Maha Shiv-Ratri and Symbolism in Lord Shiva's image

The images of Hindu Gods, such as Shiva, Vishnu, Ganesh, Sarasvati, and Durga, etc. are not their actual portraits - they are symbolic. The ancient rishis - scholars of India used metaphorical language and symbolic images to convey their messages. To understand the Hindu ideology, we need to know their symbolism. 
About ten or twelve years ago, on the occasion of Maha Shiv-Ratri in Nashville, I explained the symbolism of Lord Shiva's image according to my knowledge and understanding. Recently, some people asked me to repeat that. So, I am posting it here for the benefit of the readers. 



Lord Shiva is considered Adi-Yogi and Adi-Guru. 
Both the terms - Yogi and Guru are synonyms in some ways. Yogi means united - the one who has achieved enlightenment - and Guru means one who provides the light of Gyana by removing the veil of ignorance. 
A Guru cannot be a real Guru if he is not an Enlightened Yogi himself. Similarly, a yogi will be selfish if he does not help others to achieve what he has accomplished. Therefore Shiva is Adi-Yogi and Adi-Guru as well. 


Symbolism in the above image of Lord Shiva

The first thing to look at is the surroundings. 
He is sitting in a meditative pose in a very calm, quiet, and peaceful environment. 
To gain knowledge or to accomplish anything in life, surroundings play an important role. Therefore, a student - a seeker should try to find or design the appropriate surroundings, company, and atmosphere to pursue his quest of Gyana. 
Starting from the top of his image

His matted hair is tied in a knot on top of his head. 
Head is a symbol of the brain - intellect, and mind - and the wavy hair represents the scattered thoughts and desires. Hair tied in a knot means controlled desires and thoughts - and the unity of mind and intellect. 


Ganga
According to the story of Puranas, when Ganga came down from heaven, Shiva caught it in his hair and slowly released it on the earth. 
Ganga is a symbol of Gyana, the knowledge of Truth - which Shiva received from above - with divine inspiration. 
He then examined, analyzed, and grasped in his head and then shared it with the world.


The crescent moon
A crescent moon within his hair is a symbol of tranquillity, peace, and patience.


The Third Eye
The third eye on his forehead represents the mind's eye - 
To see the reality beyond what is visible to the physical eyes. 


Snake around his neck
The serpent represents evil - it is poisonous, and no one can deny its existence. 
Whether it's visible or invisible - controlled or uncontrolled - to some degree, it exists in everyone's mind. 
But Shiva has restrained and tamed the serpent around his neck. 


The blue-throat
There is a famous Puraanik symbolic story:
During the Sagar-Manthan - the churning of the ocean of existence - both nectar and poison - positivity and negativity popped up. 
No one wanted the poison. 
Nevertheless, Shiva swallowed it - knowing well that the poison of negativity exists all around us - that it may not be possible to avoid it entirely. 
However, he did not let it go down his throat - into his belly to affect him in any way. His blue-throat shows that even though evil and negativity hit him, he does not let it go down his throat, and therefore, is not affected by it at all. 


Ashes on the body
His body covered with ash symbolizes that the body is made from dust and will end up in ashes. 
The body is not changeless and permanent - Atma or consciousness is.


Trishul
When Shiva is in a calm and meditative posture - his Trishul is dug in the ground on the side.
Three pangs of the Trishul represent three Gunas. 
The Trishul is not in his hand, or on his body - it is kept away - on the side. Meaning, he is Traigunaateet - free from all three Gunas. 
Though, sometimes he may hold it and use it in the Tandava mode - to destroy the evil. 


Damru
In India, Damru - the small drum is a sign of an announcement or invitation - a clarion call.  
The Guru, who has achieved enlightenment, announces and invites the seekers to share his Gyana. 


Kamandal
A small pot in front of him is a symbol of contentment. 
His requirements are less- that can fit in that small pot. 
He does not collect extravagantly and excessively - there is no greed in him. 

Understanding this symbolism can help us, the seekers, to comprehend and continue on the right path of Spirituality.
Happy Maha Shiv-Ratri to all
" Rajan Sachdeva "

Thursday, February 20, 2020

अपने मरकज़ से अगर दूर निकल जाओगे

कोई भी क़ौम अपनी संस्कृति को खो कर ज़िंदा नहीं रह सकती 
                     ~~  ~~    ~~  ~~   ~~  ~~

अपने मरकज़ से अगर दूर निकल जाओगे 
ख़्वाब हो जाओगे अफ़सानों में ढ़ल जाओगे

अब तो चेहरों के ख़द-ओ-ख़ाल भी पहले से नहीं
किस को मालूम था तुम इतने बदल जाओगे

अपने परचम का कहीं रंग भुला मत देना
सुर्ख़ शोलों से जो खेलोगे तो जल जाओगे

दे रहे हैं तुम्हें जो लोग रिफ़ाक़त का फ़रेब
उन की तारीख़ पढ़ोगे तो दहल जाओगे

अपनी मिट्टी ही पे चलने का सलीक़ा सीखो
संग-ए-मरमर पे चलोगे तो फिसल जाओगे

ख़्वाब-गाहों से निकलते हुए डरते क्यूँ हो
धूप इतनी तो नहीं है कि पिघल जाओगे

तेज़ क़दमों से चलो और तसादुम से बचो
भीड़ में सुस्त चलोगे तो कुचल जाओगे

हमसफ़र ढूँडो न रहबर का सहारा चाहो
ठोकरें खाओगे तो ख़ुद ही सँभल जाओगे

तुम हो इक ज़िंदा-ए-जावेद रिवायत के चराग़
तुम कोई शाम का सूरज हो कि ढल जाओगे

सुब्ह-ए-सादिक़ मुझे मतलूब है किस से माँगूँ
तुम तो भोले हो  - चिराग़ों से बहल जाओगे 

                  "इक़बाल अज़ीम "


मरकज़                          =    केंद्र          
ख़द-ओ-ख़ाल                = चेहरे     
परचम                           =  झंडा     
रिफ़ाक़त का फ़रेब        =  दोस्ती  और अपनेपन का धोखा    
तारीख़                           = इतिहास     
ख़्वाब-गाह                     = सपनों का संसार 
तसादुम                         = लड़ाई झगड़ा
ज़िंदा-ए-जावेद रिवायत  =  अमर संस्कृति 
सुब्ह-ए-सादिक़              = सच्ची, सत्यपूर्ण  सुबह 

Apanay markaz say agar door nikal jaaogay

You will be lost and finished if you abandon your cultural inheritance, legacy, and heritage.
                    ~~  ~~    ~~  ~~    ~~  ~~   

Apnay markaz say agar door nikal jaaogay
khwaab ho jaaogay, afsaanon mein dhal jaaogay

Ab to chehron kay khad-o-khaal bhi pehlay say nahin
Kis ko maaloom tha tum itnay badal jaaogay

Apnay parcham ka kaheen rang bhulaa mat dena
Surkh sholon say jo khelogay to jal jaaogay

Day rahay hain tumhen jo log rifaaqat ka faraib
Un kee taareekh padhogay to dehal jaaogay

Apnee mittee hee pay chalnay ka saleeqa seekho
Sang-e-marmar pay chalogay to phisal jaaogay

Khwaab-gaahon say nikaltay huye dartay kyun ho
Dhoop itnee to nahin hai ki pighal jaaogay

Taiz qadmon say chalo aur tasaadum say bacho
Bheed mein sust chalogay to kuchal jaaogay

Ham-safar dhoondo na rahbar ka sahaara chaaho
Thokren khaaogay to khud hee sambhal jaaogay

Tum ho ik zinda-e-javaid rivaayat kay chiraag
Tum koyi shaam ka sooraj ho ki dhal jaaogay?

Subah-e-saadiq mujhay matloob hai kis say maangoon
Tum to bholay ho chiraagon say behal jaaogay
                                    Poet: Iqbal Azeem



Markaz                        =  The center 
Khad-o-khaal             =  Features, shape, physique   
Parcham                      = Flag
Rifaaqat ka faraib    = Deceit, Deception of Friendship or companionship 
Taareekh                     = History
Khwaab-gaahon       = Dreamland, a world of dreams
Tasaadum                  =  Clash, Collision, Conflict
Zinda-e-javaid          =  Immortal, Alive forever
Rivaayat                     =  Traditions
Subah-e-Saadiq         = True, meaningful morning
Matloob                       =  Desired, Required

Wednesday, February 19, 2020

Who is the Founder of Hinduism?

Visitor: "Swamiji, do you know who is the founder of Christianity?"
Swami Chinmayananda: "Jesus"
Visitor: "Who is the founder of Islam?"
Swami Chinmayananda: "Mohammed".
Visitor: "Who is the founder of Hinduism?"
Swami Chinmayananda: "................."
Visitor: "Swamiji, your religion doesn't have a founder?"
Swami Chinmayananda: "There is no one particular founder for Hinduism as its not an outcome of one personality's knowledge.
Let me put the same question to you. Who is the founder of Chemistry? Physics? 
You cannot answer, because these are sciences which had contributions from plenty of scientists.
In Hinduism, our Rishis were the scientists".
Visitor: "...(silence)"
Swami Chinmayananda: "If you ask a Christian to give the book on Christianity, he gives you the Bible. 
If you ask a Muslim to give a book on Islam, he gives you the Quran.
But if you ask me to give a book on Hinduism, I will say, "Welcome to my Library!"
More precisely, it is not Hinduism - it is सनातन धर्म  Sanatan Dharma - with no precise comparable term in English and that is why most of the world is unable to understand the concept. They need to learn some Sanskrit and some of the ancient history of Bharat to understand this. 
The closest rough translation in English would be Eternal Character / Properties. It is neither Hindu nor religion. It is an ever-evolving science of the character and properties of the Universe including lessons for mankind on how to live a complete life aligned to the principles of the Universe. 
Hence, most of our ग्रंथ (Granthas, NOT scriptures, closest translation "volumes") like Vedas, Upanishads, Aranyakas, Brahmanas, have no author, for, the Rishis saw these, not as their creation, but revelations of nature through them, ever-evolving.
They also do not have a date for they have evolved over millennia and keep evolving. The date is applied to static things or things with a short duration. How does one apply dates to eternal and ever-evolving? 

                                       (Courtesy of Dr. V. Bajaj - Chicago)

शायर ने हर गिरह में Shaayer nay har girah mein

शायर ने हर गिरह में लाखों खयाल बाँधे
हरफ़ों में ज़िन्दगी के सारे मलाल बाँधे

चलता रहा मुसलसल बेदर्द सा तमाशा
पलकों पे हसरतों के दिलकश सवाल बाँधे

हालात की शिकस्तें, बरबादियों के मेले
चेहरे की सिलवटों में कितने ही साल बाँधे

कहने लगे फ़साना उनसे जो दिल लगी का
अश्कों के हमने देखो कैसे उछाल बाँधे

वो पेश आए हमसे कुछ सख़्त-तर से जब जब
हमने भी तल्ख़ियों के लाखों बवाल बाँधे
            "कुसुम शर्मा अंतरा "  (जम्मू - काश्मीर )

Shaayer nay har girah mein laakhon khyaal baandhay
Harfon mein zindagi kay saaray malaal baandhay

Chaltaa rahaa musalsal,  be-dard saa tamaasha
Palkon pay hasraton kay dilkash sawaal baandhay

Halaat ki shikasten, barbaadiyon kay melay
Chehray ki silvaton mein kitnay hi saal baandhay

Kehnay lagay fasaana un say jo dil lagi ka 
Ashkon kay hum nay dekho kaisay uchhaal baandhay

Vo pesh aaye hum say kuchh sakht-tar say jab jab
Hum nay bhi talkhiyon kay laakhon bavaal baandhay
                       By: Kusum Sharma 'Antra'
                                              (Jammu-Kashmir)

गिरह  Girah  =  a knot, a joint (joining, putting together the lines of a Ghazal or poem)
हरफ़ों में   Harfon mein                      =  In words
मलाल      Malaal                                 = Regrets, Grief, Sorrow
मुसलसल   Musalsal                            = Continuously
चेहरे की सिलवटों में  Chehray ki silvaton mein  = in the wrinkles of the face
सख़्त-तर  Sakht-tar                          =   Harder (Harsher tone)
तल्ख़ियों के   Talkhiyon kay                = of Bitterness

Tuesday, February 18, 2020

जिस ने जैसी राय बना ली Jisnay jaisi raaye banaa lee

क्या फ़र्क़ पड़ता है  कि असल में  हम कैसे हैं 
जिस ने जैसी राय बना ली उसके लिए तो वैसे हैं 
                ~ ~ ~ ~   ~ ~ ~ ~

Kya farq padtaa hai ki asal me hum kaisay hain 
Jisnay jaisi raaye banaa lee uskay liye to vaisay hain 
                ~ ~ ~ ~   ~ ~ ~ ~

Usually, it does not matter what we are in reality.
When people create an opinion about us in their minds, they always see us the same way. 

Sunday, February 16, 2020

न था कुछ तो ख़ुदा था Na tha kuchh to Khuda tha

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता

हुआ जब ग़म से यूँ बेहिस तो ग़म क्या सर के कटने का
न होता गर जुदा तन से तो ज़ानू पर धरा होता

हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया  पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता

Na tha kuchh to Khuda tha, kuchh na hota to Khuda hota
Duboyaa mujh ko honay nay - na hota main to kya hota

Hua jab gam say yoon be-his to gam kya sar kay katnay ka
Na hotaa gar judaa tan say to zaanu par dharaa hota

Huyi muddat ki 'Ghalib' mar gaya par yaad aata hai
Vo har ik baat par kehnaa ki yoon hota to kya hota

                        'Mirza Asadulaah Khan Ghalib'
                                            Born: December 27, 1797, Agra, India
                                            Died: February 15, 1869, Delhi, India

 बेहिस  = उदासीन       Behis       =     Indifferent, Detached  
  ज़ानू    =   घुटना         Zaanu      =     Knees
                         

Saturday, February 15, 2020

Truth of Life

                                    Truth of life

Whatever we do in life, we do it for some personal gain 
- whether it is for monetary gain or to gain more knowledge or peace of mind. 

While investing in money, 
     We calculate interest on the principle.

However, in the physical or spiritual life, 
       We talk of principles
                 But act only as per our interests.  

True Spirituality means both - thoughts and actions 
should be pure and without vengeance.


Happy Valentine's - with some more additions

Yesterday, a friend sent some additional - nice lines about Love that are added here at the end.


                           Happy Valentine's my friends 😀 

It's love, 💞
when your little girl puts all her energy to give her dad a head massage.

It's love, 💞
when your son holds your hand tightly on a slippery road.

It's love, 💞
when a mother gives her son the best piece of cake. 

It's love, 💞
When the husband works hard to fulfill his wife's and children's desires & needs - and secure their future. 

It's love, 💞
when a wife makes tea and cooks for the husband without complaining and not as an obligation. 

It's love, 💞
when your brother and friends message you and ask did you
reach home on time...

Love 💕 is not just a guy holding a girl and going around the city.

Love is when you send even a small message to your friends to make them smile😊

💞 Luv 💕 is actually the name of "Care"...
                               Happy Valentine's my friends 😀 

It's love, 💞
when your mom hugs you and says -Meri bacchi laakhon me ek hai...

 It's love, 💞
When you return home and dad says 'Arey beta, aaj bahut der ho gayi!

It's love, 💞
When your brother says, "Tu tension naa lay, main hoon na..."

It's love, 💞
When your child says you are the Best

It's love, 💞
When your friend hugs you and says,"Arrey, teré bagair mazaa nahin aata yaar !

These all are best moments of love.....don't let them slip away! 

 Love is not only having a boyfriend or girlfriend.

💞 Luv 💕 is actually the name of "Care"...                            
                                      Give love, Get love!

                            HAPPY VALENTINE'S AGAIN!🌷💕
                

Friday, February 14, 2020

Happy Valentine's Day to All

                              Happy Valentine's my friends 😀 

It's love, 💞
when your little girl puts all her energy to give her dad a head massage.

It's love, 💞
when your son holds your hand tightly on a slippery road.

It's love, 💞
when a mother gives her son the best piece of cake. 

It's love, 💞
When the husband works hard to fulfill his wife's and children's desires & needs - and secure their future. 

It's love, 💞
when a wife makes tea and cooks for the husband without complaining and not as an obligation. 

It's love, 💞
when your brother and friends message you and ask did you
reach home on time...

Love 💕 is not just a guy holding a girl and going around the city.

Love is when you send even a small message to your friends to make them smile😊

💞 Luv 💕 is actually the name of "Care"...
                               Happy Valentine's my friends 😀 
                

Happy Valentine's Day


Thursday, February 13, 2020

गर्भ में दो बच्चों की बात

एक माँ के गर्भ में दो बच्चे थे।
एक ने दूसरे से पूछा: "क्या तुम विश्वास करते हो कि इस जगह को छोड़ने के बाद, डिलीवरी के बाद भी जीवन चलता रहेगा ? 
क्या इसके बाद भी कोई और जीवन है?"
दूसरे ने उत्तर दिया, “हाँ - बिल्कुल है । डिलीवरी के बाद भी कोई जीवन ज़रुर होगा। हो सकता है कि हम यहाँ इसीलिए हैं कि हम आगे के उस जीवन के लिए स्वयं को तैयार कर सकें।
"सब बकवास है ," पहले ने कहा।
“यहाँ के बाद कोई जीवन नहीं है। कोई नहीं जानता कि अगर कोई जीवन होगा भी तो वह कैसा होगा? ”
दूसरे ने कहा, "मुझे नहीं पता, लेकिन मुझे लगता है कि वहां यहां से ज्यादा रोशनी होगी। हम अपने पैरों पर चलेंगे और अपने मुंह से खाएँगे। शायद हमारे पास अन्य इंद्रियां होंगी जिन्हें हम अभी समझ नहीं सकते हैं। ”
पहले ने उत्तर दिया, "यह सब बेतुकी बातें हैं । पैरों पर चलना असंभव है। और हम अपने मुँह से खाएँगे? जानते नहीं हो कि गर्भनाल हमारा पोषण करती है और हमारी सब ज़रुरतों  की पूर्ति करती है। लेकिन यहाँ से बाहर जाते समय हम इस गर्भनाल को अपने साथ नहीं ले जा सकते और इसके बिना हमारा जीवित रहना संभव नहीं है। इसलिए, तर्क के अनुसार प्रसव के बाद कोई भी जीवन मौजूद नहीं हो सकता।
दूसरे ने जोर देकर कहा, "लेकिन मुझे लगता है आगे का संसार यहाँ से अलग होगा। हमारी ज़रूरतें अलग होंगीं। शायद हमें वहां गर्भनाल की आवश्यकता नहीं होगी। 
पहले ने उत्तर दिया, "ये सब बकवास है । अगर ये सही है, अगर यहां से जाने के बाद भी कोई जीवन है तो आज तक कोई भी ये बताने के लिए वहाँ से वापस क्यों नहीं आया? 
डिलीवरी के बाद जीवन का अंत है, और उसके बाद कुछ भी नहीं है ”।
दूसरे ने कहा: मुझे नहीं पता वो जीवन कैसा होगा, लेकिन निश्चित रुप से माँ वहाँ होगी, और वह हमारी देखभाल करेगी।
पहले ने उत्तर दिया: माँ? क्या तुम सच में यह मानते हो कि  माँ नाम की कोई चीज़ है ? ये क्या बकवास है। अगर सचमुच ही माँ का अस्तित्व है, तो वह अब कहाँ है? वो दिखाई क्यों नहीं देती? जिसे हम देख नहीं सकते वह सिर्फ एक कल्पना है - उसका कोई आस्तित्व नहीं है।"
इस पर दूसरे ने उत्तर दिया:
 "नहीं भाई। हमारी हर तरफ माँ ही तो है। हम उसके अंदर ही तो हैं। हर तरफ से उसके आस्तित्व ने हमें घेर रखा है। 
कभी-कभी, जब आप पूर्णतया मौन होते हैं, और ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप वास्तव में उसकी उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं। आप उसकी प्यार भरी आवाज भी सुन सकते हैं।"

Two Babies in Mother's Womb

In a mother’s womb were two babies. 
One asked the other: “Do you believe in life after we leave this place?” 
The other replied, “Why, of course. There has to be something after delivery. Maybe we are here to prepare ourselves for what we will be later.”
“Nonsense,” said the first. 
“There is no life after here. What kind of life would that be?”
The second said, “I don’t know, but I think there will be more light than here. Maybe we will walk with our legs and eat from our mouths. Maybe we will have other senses that we can’t understand now.”
The first replied, “That is absurd. Walking on the legs is impossible. And eating with our mouths? Ridiculous! The umbilical cord supplies nutrition and everything we need. But the umbilical cord is so short, and we can not take it with us. Therefore, logically, life after delivery can not exist. 
The second insisted, “Well, I think there is something, and perhaps it’s different than here. Maybe we won’t need this physical cord anymore.”
The first replied, “Nonsense. Moreover, if there is life, then why has no one ever come back from there to tell us? Delivery is the end of life, and there is nothing out there after delivery”.
The second said: Well, I don’t know, but certainly Mother would be there, and she will take care of us.
The first replied: Mother? Do you truly believe in Mother? That’s ridiculous. If Mother exists, then where is she now? Why do we not  see her?" Since we don’t see her, it is only logical that She doesn’t exist.”
To which the second replied, "Sometimes, when you’re in silence, and you focus, and you really listen, you can perceive Her presence, and you can hear Her loving voice, calling us from above.” 
                            'From the web'

Wednesday, February 12, 2020

Why bright brains of the Indian subcontinent leave their country?

There is an expression in India, (in fact all over Asia) that goes like this: 
If a nail sticks out, hammer it down.
So, if you are an oddball - if you think out of the box and question the old establishment -
you will be hammered down.
On the other hand, a traditional American expression is: 
The squeaky wheel gets the grease. 
In other words, those who raise questions, and challenge the system, the seniors and their old ways - get attention and are given chances to prove their way of thinking. People and students with new and innovative ideas are encouraged and facilitated to expand their ideas further. They even get scholarships to do more research and develop new ways to improve their theories. 
No wonder the most brilliant brains of India and Asia want to leave their country and settle in America - where their talents are recognized and encouraged. Not only they get personal satisfaction by doing their research work freely, but they also help in the building and advancement of their newly adopted country as well. 
However, this is a great loss for their native countries. 
To develop the country and improve the lives of its inhabitants, its establishments should recognize, encourage, and help their brilliant brains to do their work freely - without restrictions. So that all the countries in the world and humanity in general, can advance further.
                                   ' Rajan Sachdeva '

What is Moksha?

According to Sanatan Hindu/ Vedantic ideology, Moksha is not a physical location in some other Loka (realm), another plane of existence, or ...