Saturday, August 31, 2019

नरपतिहितकर्ता द्वेष्यतां - दुर्लभ है प्रसन्न करे जो ...

नरपतिहितकर्ता द्वेष्यतां याति लोके।
जनपदहितकर्ता त्यज्यते पार्थिवेन॥
इति महति विरोधे विद्यमाने समाने।
नृपतिजनपदानां दुर्लभ: कार्यकर्ता॥ 
                                   [पंचतंत्र, मित्रभेद]

उसे लोकद्वेष की आग मिले जो राजहित का काम करे
और वो राजा को न भाए -   जनहित का जो काम  करे 
दोनों ओर से  होती है कठिनाई एक समान 
प्रसन्न करे जो दोनों को, दुर्लभ है ऐसा पुरुष महान॥

राज्य अथवा राजनैतिक एवं सामाजिक संस्था के अधिकारीयों के लिए कार्य करने वाले - उनका साथ देने वाले व्यक्ति प्राय लोगों के क्रोध एवं ईर्ष्या का पात्र बन जाते हैं। 
जनपद का हित करनेवाले - साधारण लोगों के कल्याण के लिए कार्य करने वाले - उन्हें सही मार्ग दिखाने और ऊपर उठाने वाले लोगों को अधिकारी पसंद नहीं करते और उन्हें त्याग देते हैं। 
दोनो प्रकार से विरोध है - दोनों तरह के लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। 
शासकऔर प्रजा - अधिकारी एवं साधारण जनता - दोनोका कल्याण करनेवाला - दोनों को प्रसन्न कर पाने वाला कार्यकर्ता मिलना दुर्लभ है।
                                                     'राजन सचदेव '

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