प्रकृति के तीन नियम :
पहला नियम
यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती है
ठीक उसी तरह से यदि मन में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ
तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना लेते हैं
दूसरा नियम
जिसके पास जो होता है वह वही बांटता है
अग्नि गर्मी और प्रकाश देती है
तो बादल जल और शीतलता बांटता है
सुखी "सुख "बांटता है
और दुःखी "दुःख " बांटता है
ज्ञानी "ज्ञान" बांटता है
तो भ्रमित "भ्रम "बांटता है
भयभीत "भय " देता और सिखाता है -
जो स्वयं अभय है वह औरों को भी भय से मुक्त होना सिखाता है
तीसरा नियम
जीवन से जो कुछ भी मिले उसे पचाना सीखो क्योंकि :
भोजन न पचने पर रोग बढ़ते हैं
पैसा न पचने पर दिखावा बढ़ता है
बात न पचने पर चुगली बढ़ती है
प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढ़ता है
निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है
राज़ (भेद) न पचने पर खतरा बढ़ता है
दुःख न पचने पर निराशा बढ़ती है
और सुख न पचने पर पाप बढ़ता है
पहला नियम
यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती है
ठीक उसी तरह से यदि मन में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ
तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना लेते हैं
दूसरा नियम
जिसके पास जो होता है वह वही बांटता है
अग्नि गर्मी और प्रकाश देती है
तो बादल जल और शीतलता बांटता है
सुखी "सुख "बांटता है
और दुःखी "दुःख " बांटता है
ज्ञानी "ज्ञान" बांटता है
तो भ्रमित "भ्रम "बांटता है
भयभीत "भय " देता और सिखाता है -
जो स्वयं अभय है वह औरों को भी भय से मुक्त होना सिखाता है
तीसरा नियम
जीवन से जो कुछ भी मिले उसे पचाना सीखो क्योंकि :
भोजन न पचने पर रोग बढ़ते हैं
पैसा न पचने पर दिखावा बढ़ता है
बात न पचने पर चुगली बढ़ती है
प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढ़ता है
निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है
राज़ (भेद) न पचने पर खतरा बढ़ता है
दुःख न पचने पर निराशा बढ़ती है
और सुख न पचने पर पाप बढ़ता है
Absolutely correct, Rajan ji. It's a great writing and thanks for it.
ReplyDeletegiankanda
Wah wah Kya baat hai. Bahot kuchh learn karne ko mila. Thank you Rajan ji.
ReplyDeleteExcellent lessons and learning from three rules of Nature, thanks a lot
ReplyDelete