Sunday, January 10, 2016

What is happiness / Kisi ka 'Halva-Poori' se bhi

किसी का 'हलवा-पूरी' से भी दिल नहीं भरता 
कोई खुश हो जाता है चावल और दाल में 
कोई फटे कंबल में भी सो जाता है 'राजन'
कोई ढूंढ़ता फिरे है ख़ुशी ज़र और माल में 
   
Kisi ka 'Halva-Poori' se bhi dil nahin bhartaa 
Koi khush ho jata hai 'chaaval aur daal' me
Koi phatay kambal me bhi so jaata hai 'Rajan'
Koi dhoondtaa phirtaa hai khushi zar aur maal me 
                                 'Rajan Sachdeva '

3 comments:

  1. Ekdum hit hai sir ji

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  2. अपना अपना नज़रिया है!! आपने बिलकुल सही कहा !!

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