Tuesday, January 5, 2016

खुशबु हो अगर तुम Khushbu ho agar tum


ज़ुल्मत के तलातुम से उभर क्यों नहीं जाते 
उतरा हुआ है दरिया - गुज़र क्यों नहीं जाते 
बादल हो, तो बरसो किसी बे-आब ज़मीं पर 
खुशबु हो अगर तुम तो बिखर क्यों नहीं जाते  
                                               'अज्ञात '
           
Zulmat ke Talaatum se ubhar kyon nahin jaate 
Utaraa huaa hai dariya- guzar kyon nahin jaate 
Baadal ho - to barso kisi be-aab zameen par
Khushbu ho agar tum to bikhar kyon nahin jaate 
                                            (Writer Unknown)

ज़ुल्मत  Zulmat  ...........  Oppression, Tyranny, Cruelty  
तलातुम Talaatum .........   Strong waves / Flood 

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