नाम लेते हैं वो मेरा क्यों दुश्नाम से (अपशब्द Disrespect)
मिलते हैं जिन से हमेशा हम इकराम से
(इज़्ज़त से)
बेक़रारी में न आई नींद रात भर
दिल उदास था बहुत कल की ही शाम से
जब मुक़ाबला नहीं मेरा किसी के साथ
क्यों हसद होती है उनको मेरे नाम से
(ईर्ष्या)
अब करुं उनसे गिला तो किस तरह करुं
ग़म दिए उस ने बड़े ही एहतिराम से
(आदर-सत्कार से)
बेख़ुदी में चाक हो गया था गिरेबां
सी रहा हूँ अब बड़े ही एहतिमाम से
(सावधानी से)
गर बुरा करे कुई तो बख़्श दो उसे
क्या मिलेगा तुम को आख़िर इंतकाम से
कल जो फिरते थे यहां दरवेश की तरह
आज चल रहे हैं कितने एहतिशाम से
(शान शौकत से)
छोड़ दे मालिक पे अपनी ज़िंदगी की डोर
होंगे मसले हल उसी के इंतज़ाम से
सच नहीं मिलता महज पढ़ने या सुनने से
मारफ़त आती है रुह में इल्हाम से
(आध्यात्मिक ज्ञान) (अंदरुनी प्रेरणा)
देख लीं दुनिया-ए-रंग-ओ-बू की इशरतें (आनंद)
अब तो 'राजन' दिल लगा के देख राम से
" राजन सचदेव "
P S
(लिख रहा था ये ग़ज़ल मैं कल की शाम से
पेश-ए-ख़िदमत है तुम्हें सादर प्रणाम से)
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दुश्नाम = अपशब्द , अपमानजनक, Disrespectful
इकराम = इज़्ज़त, मान सम्मान, Respect
मुक़ाबला = आमना-सामना, प्रतियोगिता, Competition
हसद = ईर्ष्या, जलन, Envy
एहतिराम = इज़्ज़त के साथ, मान के साथ, Respectfully
बेख़ुदी = नासमझी, लापरवाही, Unconsciously,
चाक होना = फट जाना, टुकड़े टुकड़े, लीरां लीरां
गिरेबां = तन का कपड़ा, Gown, Cloak
एहतिमाम = सावधानी से, एहतियात से, Carefully, with great care
इंतकाम = बदला, Revenge
दरवेश = भिखारी, दर पे सदा देने वाला, या मांगने वाला Beggar
एहतिशाम = वैभव, शान शौकत Delightful
मारफ़त = आध्यात्मिक ज्ञान, Spiritual wisdom,
इल्हाम = अंदरुनी प्रेरणा Divine Inspiration
दुनिया-ए-रंग-ओ-बू = रंग बिरंगी , रंगों और ख़ुश्बुओं से भरी दुनिया
इशरतें = आनंद, मौजें Pleasure
Perfect coordination of words and well written composition!! These words teach us how to deal in practical situations dealing with different kinds of people in the world while maintaining our inner peace and sukoon!!
ReplyDeleteThank you
Deleteबहुत सुन्दर ji wah ji wah 🎊👍
ReplyDeleteWaaah waaah wah
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteWah wah bahut khoob 👍👍👏👏👌👌
ReplyDeleteIncredible Rajan ji. My two cents:
ReplyDeleteBhulne ki Mumkin koshish ho jati hai duniyadari ki,
Naam leta hu jab bhi Ram ka iss jubaan se.