Thursday, June 6, 2024

अल्पकालिक लाभ और स्वार्थ

जो राष्ट्र या लोग अपने अतीत से कुछ भी सीखने से इनकार कर देते हैं और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भी अपने भविष्य को सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं, वे अंततः समय के साथ बर्बाद और नष्ट हो जाते हैं।

लालच और स्वार्थ - अल्पकालिक लाभ की लालसा और चंद निजी स्वार्थी इरादों की पूर्ती के लिए किए हुए काम - शायद कुछ देर के लिए तो हमें प्रसन्नता और संतुष्टि दे सकते हैं लेकिन कालांतर में हमारी और हमारी आने वाली पीढ़ियों की प्रगति को रोक देते हैं।  
ज़रुरत से ज़्यादा आत्मविश्वास और अहंकार - कि हमारा कोई भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता - ऐसी बाधाएं हैं जो किसी के भी भविष्य की प्रगति को सीमित कर देती हैं। ये  न केवल एक व्यक्ति के जीवन को - बल्कि पूरे राष्ट्र, उसके लोगों  - समाज और संस्कृति को प्रभावित करती है ।
एक पीढ़ी द्वारा की गई गलतियाँ और मूर्खताएँ अगली पीढ़ियों को प्रभावित करती हैं। 
अगली पीढ़ियों को इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं और उसकी कीमत चुकानी पड़ती है।

इतिहास केवल पढ़ने के लिए नहीं होता।
अतीत के इतिहास का विश्लेषण करके अपने पूर्वजों द्वारा की गई गलतियों से सीखने की कोशिश करनी चाहिए - और उन्हें सुधारने का प्रयास करना चाहिए - न केवल अपने लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी।

व्यक्ति को केवल अपने लिए ही नहीं जीना चाहिए - केवल अपने अल्पकालिक व्यक्तिगत लाभ - प्रसन्नता और संतुष्टि के लिए ही नहीं सोचना चाहिए।
ऐसा तो सभी जानवर - पशु पक्षी इत्यादि भी कर सकते हैं।
केवल मनुष्य के पास ही भविष्य की कल्पना करने और कुछ ऐसा करने की क्षमता है जो आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित कर सकता है
                                                       " राजन सचदेव "

1 comment:

  1. बिलकुल सही कहा है आपने राजन जी ।

    ReplyDelete

Death is inevitable

In the Bhagavad Gita, Lord Krishna says:                Jaatasya hi Dhruvo Mrityuh   "For one who is born, death is certain."     ...