Saturday, June 29, 2024

क़र्ज़ की अदायगी

एक सज्जन ने अपने घर के लिए क़र्ज़ लेने के लिए दरख़्वास्त दी 
बैंक मैनेजर ने सब काग़ज़ात देख के चैक लिख दिया 
और चैक पर दस्तख़त कर के उनके  सामने रख दिया 

उस सज्जन ने भावुक हो कर हाथ जोड़ कर कहा - 
"आप ने इस नाचीज़ ग़रीब पर इतनी मेहरबानी - इतनी नवाज़िश की है - 
      मैं आप का ये क़र्ज़ जीवन भर नहीं उतार पाउँगा -

मैनेजर ने झट से चैक उठा कर फाड़ दिया। 

कभी कभी ज़्यादा उर्दू बोलना महंगा भी पड़ सकता है। 


12 comments:

  1. Bahut Khoob ji.🙏

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  2. You always bring out an unusual view. Always fun to read that comes on your blog.

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  3. 🙏🙏🙏🙏🙏

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  4. Sir, बहुत दिन से आप का blog नहीं पढ़ा

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    1. धन निरंकार जी - कुछ दिन से शारीरिक और मानसिक रुप से बहुत व्यस्त रहा -
      याद करने के लिए धन्यवाद -- इसी तरह कृपा बनाए रखना 🙏🙏

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  5. 😂😂 😂😂

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न जाने कौन सी बात आख़िरी होगी  न जाने कौन सी रात आख़िरी होगी  मिलते जुलते बात करते रहा करो यारो  न जाने कौन सी मुलाक़ात आख़िरी होगी             ...