लोकेषणा - वित्तेषणा - पुत्रेषणा
अक़्सर ये तीनों ही इंसान के पतित का कारण बन जाते हैं।
इन के कारण बड़े से बड़े व्यक्ति भी सत्य मार्ग से हटते हुए दिखाई देते हैं।
लोकेषणा - अर्थात लोक में - संसार में प्रसिद्धि प्राप्त करने की तृष्णा
वित्तेषणा - वित्त अर्थात धन की तृष्णा - धन का लोभ
और पुत्रेषणा - अर्थात संतान की आसक्ति
- केवल मोह के कारण अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके अपनी पोजीशन, पद, और लीडरशिप उन्हें सौंप देना।
इन में से एक भी हो तो इन्सान अपने मार्ग से विमुख हो कर पतन की ओरअग्रसर होने लगता है।
इनमें से एक का भी होना बड़े बड़े नेताओं और संतों के पतन का कारण बन जाता है।
सत्य के साधकों को हमेशा इन से दूर रहना चाहिए और सीधे एवं सत्य के मार्ग पर बढ़ने का प्रयास करते रहने करना चाहिए।
अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर रखें - ताकि कोई भी ऐसी बाधा आपको सत्य के मार्ग से विचलित न कर सके।
' राजन सचदेव '
अक़्सर ये तीनों ही इंसान के पतित का कारण बन जाते हैं।
इन के कारण बड़े से बड़े व्यक्ति भी सत्य मार्ग से हटते हुए दिखाई देते हैं।
लोकेषणा - अर्थात लोक में - संसार में प्रसिद्धि प्राप्त करने की तृष्णा
वित्तेषणा - वित्त अर्थात धन की तृष्णा - धन का लोभ
और पुत्रेषणा - अर्थात संतान की आसक्ति
- केवल मोह के कारण अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके अपनी पोजीशन, पद, और लीडरशिप उन्हें सौंप देना।
इन में से एक भी हो तो इन्सान अपने मार्ग से विमुख हो कर पतन की ओरअग्रसर होने लगता है।
इनमें से एक का भी होना बड़े बड़े नेताओं और संतों के पतन का कारण बन जाता है।
सत्य के साधकों को हमेशा इन से दूर रहना चाहिए और सीधे एवं सत्य के मार्ग पर बढ़ने का प्रयास करते रहने करना चाहिए।
अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर रखें - ताकि कोई भी ऐसी बाधा आपको सत्य के मार्ग से विचलित न कर सके।
' राजन सचदेव '
राजन जी,
ReplyDeleteएक दम सत्य कहा आप जी ने। इतिहास इस तरह की घटनाओं से भरा पड़ा है।
आप के लिखे शब्द दिल और आत्मा को स्पर्श कर जाते हैं ।
ज्ञान कंडा ����
पुत्रैषणा लोकैषणा वित्तैषणा अ+ए=ऐ
ReplyDeleteThank you for the correction
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