Friday, April 17, 2020

आस, वादे, ख़्वाब, अरमां Aas, Vaaday, Khwaab, Armaan

आस, वादे,  ख़्वाब, अरमां, आरज़ूएँ, हसरतें 
ज़िंदगी क्या क्या खिलौने दे के बहलाती रही 
                            " बेदिल सरहदी "

Aas, Vaaday, Khwaab, Armaan, Aarzuen, Hasratain
Zindagi kya kya khilaunay day kay behlaati rahi 
                                         " Bedil Sarhadi "

2 comments:

हज़ारों ख़ामियां मुझ में हैं - मुझको माफ़ कीजिए

हज़ारों ख़ामियां मुझ में  हैं   मुझको माफ़ कीजिए मगर हुज़ूर - अपने चश्मे को भी साफ़ कीजिए  मिलेगा क्या बहस-मुबाहिसों में रंज के सिवा बिला वजहा न ...