इस बार मैंने दीपावली कुछ यूँ मनाई......
दीपक वहां जलाए, जहाँ अँधेरा सबसे ज्यादा था
मिठाईयाँ बाँटी, पर उन्हें जिनकी ज़िन्दगी फीकी थी
फुलझडियों की रौशनी से कुछ उदास चेहरों की चमक लौटाई
मैंने दिवाली वृद्ध -आश्रम और ग़रीब बच्चों के साथ मनाई
दीपक वहां जलाए, जहाँ अँधेरा सबसे ज्यादा था
मिठाईयाँ बाँटी, पर उन्हें जिनकी ज़िन्दगी फीकी थी
फुलझडियों की रौशनी से कुछ उदास चेहरों की चमक लौटाई
मैंने दिवाली वृद्ध -आश्रम और ग़रीब बच्चों के साथ मनाई
Writer : Unknown
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