मत सोचा कर, मत सोचा करइतना ज़्यादा मत सोचा करजो हुआ, वो होना ही थाक्यों होना था, मत सोचा कर जो भी होगा, अच्छा होगाकब क्या होगा मत सोचा करक्या मिलेगा सोच सोच करदर्द बढ़ेगा, मत सोचा करतदबीरें न काम आईं तोपछतायेगा- मत सोचा करहोगा वही जो क़िस्मत में है मान ले कहना मत सोचा करकौन है अपना कौन परायारिश्ता नाता मत सोचा करइक ही रब के हैं सब बन्देचंगा मंदा मत सोचा करकर्म किये जा, कर्म किये जाफल क्या होगा मत सोचा करलम्हा लम्हा जीवन जी लेकब तक जीना,मत सोचा करजाना ही है मंज़िल पर, तोधूप या छाया मत सोचा कर'राजन' दुनिया में क्या हमनेखोया पाया, मत सोचा कर
'राजन सचदेव '
जुलाई 8, 2015
नोट : इस ग़ज़ल का रदीफ़ (मत सोचा कर) मैंने जनाब फ़रहत शहज़ाद की एक ग़ज़ल से
जुलाई 8, 2015
नोट : इस ग़ज़ल का रदीफ़ (मत सोचा कर) मैंने जनाब फ़रहत शहज़ाद की एक ग़ज़ल से
लिया है रदीफ़ उन का है लेकिन बाकी ग़ज़ल मेरी अपनी है
शहज़ाद साहिब की ग़ज़ल है:
" तनहा तनहा मत सोचा कर
मर जायेगा मत सोचा कर "
Excellent indeed...
ReplyDeletebahut sunder rachna hai aapki,
ReplyDelete" JAAHI VIDHI RAAKHE RAM,WAHI VIDHI RAHIYE"
anil