Thursday, June 19, 2025

हमारा अपना क्या है?

जन्म किसी और ने दिया 
नाम भी दूसरों ने रखा 
पालन पोषण और परवरिश भी दूसरों ने की 
शिक्षा किसी और ने दी 
काम अथवा रोजगार भी दूसरों ने दिया 
ज्ञान किसी और ने दिया 
श्रेय ,पदवी और सम्मान औरों ने दिया 
इज्जत और शोहरत औरों ने दी 
पहला और आखिरी स्नान कोई और करवाते हैं 
श्मशान - कोई और ले कर जाएंगे 
मरने के बाद संपत्ति भी कुछ और लोग मिल कर बांट लेंगे 

          फिर घमंड किस बात पर करते हैं?
'सब मैंने ही किया .. 'सब मैं ही करता हूँ - 'सब मेरे ही कारण होता है '
क्यों इस तरह से हर वक़्त 'मैं मैं' और 'मेरी मेरी' करते रहते हैं?

               का ते कांता कस्ते पुत्रः - संसारोऽयमतीव विचित्रः।
               कस्य त्वं वा कुत अयातः - तत्त्वं चिन्तय तदिह भ्रातः॥८॥
                                अदि शंकराचार्य - भज गोविन्दं ॥8॥
अर्थात : 
ये संसार अत्यंत विचित्र है - किसकी भार्या? किसका पुत्र? 
कौन भार्या है? पुत्र कौन है?
हे बन्धु ! इन सब से पहले तो इस बात पर विचार करो कि तुम कौन हो और कहाँ से आये हो?

लेकिन अक़्सर हमारा ध्यान इस तरफ नहीं जाता। 
'मैं- मेरी' के मिथ्या अभिमान में फंस कर हम स्वयं को सही रुप में देखने और अपने आप को पहचानने से वंचित रह जाते हैं। 
                                   " राजन सचदेव "

11 comments:

  1. Waaah Hujur waaah
    Mera mujhme kuchh nahi….

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  2. विचारणीय प्रश्न है 🙏

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  3. Very nice ji !😊🙏
    Perfect examples of what this life is all about !
    Anil

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  4. जनाजे को वो मेरे रुकवा के बोले, ये लौटेंगे कब तक कहाँ जा रहे हैं!
    यहां काटकर जिंदगी की सजाएँ, जहां से चले थे वहीं जा रहे हैं।

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  5. Great analysis! All these are superficial and related to body and mind. The real question is - Am I body and mind? If not then - who am I?
    Once you realize this all illusions will break

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