Monday, November 6, 2023

इंसान के लहू को पियो इज़्न-ए-आम है

              इंसान के लहू को पियो इज़्न-ए-आम है 
             अंगूर की शराब का पीना हराम है 
                                 " जोश मलीहाबादी "

इज़्न-ए-आम    =  खुले आम इजाज़त , खुली इजाज़त , सामान्य अनुमति, General, Open permission 

कवि का ह्रदय बहुत संवेदन शील होता है। 
शहर में या दुनिया में होने वाली अमानुषिक घटनाओं को देख कर शायर का दिल चीख उठता है - 
उस की पैनी निगाह हर घटना और वारदात को गहराई तक देखती और परखती है 
और वह अपने जज़्बात - अपनी बात किसी न किसी रुप में कहने का प्रयत्न करता है - 
चाहे दार्शनिक यानि फ़लसफ़ाना अंदाज़ में या फिर व्यंग के रुप में - 
बक़ौल शायर -- अर्थात कवि के शब्दों में -

मज़हबी किताबों और क़ानून में शराब पीना तो हराम समझा जाता है - उसकी मनाही है 
लेकिन शायद इंसान का ख़ून पीने की मनाही नहीं है - 
ऐसा लगता है कि मासूम और बेगुनाहों के क़त्ल की खुले आम इजाज़त है।  
                     ~~~~~~~~~~~~~~~~~
 Note: 
जोश मलीहाबादी की गिनती इस युग के महानतम शायरों में की जाती है 
और उनका नाम शायरी और अदीब की दुनिया में बड़े सम्मान से लिया जाता है। 

4 comments:

ऊँची आवाज़ या मौन? Loud voice vs Silence

झूठे व्यक्ति की ऊँची आवाज सच्चे व्यक्ति को चुप करा सकती है  परन्तु सच्चे व्यक्ति का मौन झूठे लोगों की जड़ें हिला सकता है                     ...